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बच्चों के विकास के लिए आउटडोर गेम्स जरूरी, फिजिकली भी फिट रहेंगे

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तकनीक और सुविधाओं के बदलते दौर में बच्चों के खेलने कूदने का तरीका भी डिजिटल हो गया है। फोन में वीडियो गेम्स से लेकर पीएस5 को अपना खेल का साथी मान चुके बच्चे अब आउटडोर गेम्स में रुचि नहीं दिखाते हैं। तकनीक के मामले में तो उनकी पकड़ मजबूत हो रही है लेकिन क्या इसका प्रभाव बच्चों के सम्पूर्ण विकास पर होता है ? हां आउटडोर गेम्स में कम रुचि रखने वाले बच्चों का बहुमुखी विकास प्रभावित होता है। न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक विकास पर भी इसका असर दिखाई देता है। उनके शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मेंटल हेल्थ भी इससे प्रभावित होती है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं यह कहना है मनोचिकित्सक डा सुनील कुशवाह और चिकित्सक एन एच शर्मा का । अंतराष्ट्रीय खेल दिवस पर आउटडोर गेम्स को लेकर चिकित्सकीय सलाह क्या है आप भी पढिए..

शरीर स्वास्थ्य रहता है

 

डा एनएच शर्मा की मानें तो मैदान में खेले जाने वाले खेल एक तरीके से शरीर में व्यायाम के तौर पर काम करते हैं। इससे शरीर में चुस्ती फुर्ती तो रहती ही है साथ ही इम्यून सिस्टम मजबूत होता है जिससे बच्चों में किसी भी रोग से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। हालांकि वर्तमान में बच्चों का रुझान मैदानी खेलों में कम होता दिखता है जो उनके शारीरिक विकास को प्रभावित करता है।

 

तनाव से होता है बचाव

डा सुनील कुशवाह का कहना है कि नियमित खेल और व्यायाम करने से बच्चों में होने वाले तनाव को दूर करने में मदद मिलती है। युवाओं की भांति बच्चे भी तनाव की समस्या होती है। अगर यह तनाव बचपन में ही दूर न किया जाए तो इससे गंभीर अवसाद की समस्या भी पैदा हो सकती है। ऐसे में अन्य बच्चों के साथ मिलकर खेलने कूदने से बच्चों में चिंता और अवसाद की समस्या दूर होती है ,शारीरिक गतिविधि बढ़ने पर कुछ केमिकल भी रिलीज होते हैं जो बच्चों के मन पर नियंत्रण रखने के साथ मानसिक रूप से विकास करने में मददगार साबित होते हैं।

 

सुधरता है शैक्षिक प्रदर्शन

 

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बचपन में बच्चे जितनी सक्रियता से खेलों में भाग लेते हैं आने वाले समय में उनके शैक्षिक प्रदर्शन और समग्र विकास में इसका सकारात्मक असर दिखाई देता है। कम उम्र से बाहरी खेलों में हिस्सा लेने वाले बच्चों में ज्यादा सकारात्मकता और लक्ष्य प्राप्ति के बेहतर लक्षण दिखाई देते हैं। साथ ही उनमें फोकस और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता भी अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होती है।इसके साथ ही उनमें प्रतिस्पर्धा के दौरान सफलताओं और विफलताओं का प्रबंधन करने की क्षमता भी बढ़ती है।

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