दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश मामले में उमर खालिद की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. उन्हें 4 साल बाद जमानत मिलेगी या नहीं ये अगली सुनवाई में साफ हो जाएगा. कड़कड़डूमा कोर्ट में उमर खालिद ने दायर अपनी याचिका में देरी और दूसरे व्यक्तियों के साथ समानता के आधार पर नियमित जांच की मांग की है. वह अनलॉफुल एंड ऐक्टिविटिज प्रिवेंशन एक्ट यानी यूएपीए के तहत मामले में सितंबर 2020 से हिरासत में हैं. वहीं दिल्ली पुलिस ने खालिद की याचिका का विरोध करते हुए इसे निराधार करार दिया है. आपको बता दें कि इसी साल फरवरी में ही उमर ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी. उसके बाद कड़कड़डूमा कोर्ट में आवेदन दाखिल किया था
2020 से ही जेल में हैं बंद हैं उमर
छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद सितंबर 2020 से ही जेल में बंद हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुई हिंसा को भड़काया था. उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज हैं. एक मामले में उमर को अप्रैल 2021 में जमानत मिल गई थी. दूसरे मामले में उनके खिलाफ के यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं. इस मामले में अब तक दो अदालतें उनकी जमानत याचितका खारिज कर चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत याचिका अप्रैल 2023 से लंबित थी. जिसकी सुनवाई कई बार स्थगित की जा रही थी.
सुप्रीम कोर्ट से वापस ले थी याचिका
2024 के फरवरी महीने में ही उमर खालिद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली थी. उमर ने कहा था कि वो अपनी जमानत के लिए नए सिरे से अर्जी दाखिल करेंगे. उमर के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की बेंच को बताया था कि वो परिस्थितियां बदलने की वजह से अपनी जमानत याचिका वापस लेना चाहते हैं और नए सिरे से ट्रायल कोर्ट के सामने जमानत मांगने के लिए आवेदन करेंगे.
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