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मां-बाप सक्षम थे फिर भी नहीं पढ़े, ऐसे में कहां से आएगा विजन- तेजस्वी पर शांभवी का तंज

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लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण में 13 मई को समस्तीपुर में मतदान है. समस्तीपुर के चुनावी मैदान में 12 प्रत्याशी हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस पार्टी के सनी हजारी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की शांभवी चौधरी के बीच है. शाम्भवी को राजनीति विरासत में मिली है. शांभवी चौधरी के दादा महावीर चौधरी 9 बार विधायक रहे हैं, इसके साथ ही वह बिहार सरकार में मंत्री भी रहे. पिता अशोक चौधरी नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री हैं. शांभवी चौधरी की शादी बिहार के चर्चित आईपीएस अधिकारी रहे किशोर कुणाल के बेटे सायण कुणाल से हुई है. समस्तीपुर से चुनावी मैदान में उतरी शांभवी का चुनावी नारा है ‘शांभवी है तो संभव है’.

शांभवी ने बताया कि वह राजनीतिक माहौल में पली बढ़ी हैं. पहले ही तय कर लिया था कि राजनीति में जाना है और लोगों की सेवा करनी है. लेकिन इतनी जल्दी ब्रेक मिलेगी ये नहीं सोचा था. शांभवी ने कहा कि ये सही है कि मेरे दादाजी राजनीति में थे. पिताजी राजनीति में सक्रिय हैं, उनसे मैं प्रभावित होकर आई हूं लेकिन मेरा अपना भी मानना है कि जनसेवा और मानव सेवा से बड़ा कोई काम नहीं है. मेरा मानना है कि जब आप किसी पद पर रहते हैं तो लोगों के लिए ज्यादा से ज्यादा काम कर पाते हैं.

‘हर पांच साल में परीक्षा देनी होती है’

बड़े परिवार की बेटी और बड़े परिवार की बहू होने का फायदा आपको मिला? इस सवाल पर शाभंभी चौधरी नै कहा- हर पीढ़ी अपने पिता. दादा की लिगेसी को बढ़ाना चाहता है. हर बच्चा अपने परिवार के प्रोफेशन में जाना चाहता है. डॉक्टर के बेटे डॉक्टर बनना चाहते हैं. इंजीनियर के बेटे इंजीनियर बनना चाहते हैं. बिजनेस करने वालों की भी विरासत तय होती है. ये सही है कि राजनीतिक परिवार से होने का मुझे फायदा मिला है. हमारी बातों को सुना जाता है. लेकिन मेरा राजनीतिक जीवन क्या होगा ये जनता तय करती है. राजनीति में मेरा क्या होगा ये समस्तीपुर की जनता तय करेगी. पॉलिटिक्स एकलौता ऐसा प्रोफेशन है जहां आपको हर पांच साल में एग्जाम देने होते हैं.

‘मैं 9वीं फेल नहीं हूं’

शांभवी ने कहा, “मैं पढ़ी-लिखी हूं. ऐसा नहीं है कि मैं 9वीं फेल हूं या 10वीं फेल हूं, मैंने अच्छे कॉलेज से पढ़ाई पूरी की है और अभी भी पढ़ रही हूं. मैंने अलग-अलग क्षेत्रों में काम भी किया है.” उन्होंने आगे कहा, “वो लोग मेरे ऊपर परिवारवाद का आरोप लगा रहे हैं. लेकिन मेरा मानना है कि परिवारवाद वो होता है जब आप पढ़े लिखे नहीं हो, आपने कोई काम नहीं किया हो. आप हारे हुए उम्मीदवार हो लेकिन फिर भी आपको बार-बार उसी एरिया से टिकट दे दिया जाता है.”

वहीं बाहरी प्रत्याशी और स्थानीय प्रत्याशी के सवाल पर शांभवी ने कहा कि ये सिर्फ सोशल मीडिया का मुद्दा है. सोशल मीडिया पर ये नेरेटिव सेट करने की कोशिश की जा रही है. मेरा घर समस्तीपुर में है. मैं अपने घर से चुनाव ऑपरेट कर रही हूं. जबकि दूसरे प्रत्याशी होटल से चुनाव अभियान चला रहे हैं. मेरे रिश्तेदार समस्तीपुर में हैं. बाहरी भीतरी के सवाल पर शांभवी ने कहा- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी काशी के नहीं हैं लेकिन उन्होंने काशी के लिए कितना काम किया है. वहीं एनडीए के सभी दलों का साथ मिलने के सवाल पर कहा कि हमें सभी दलों का साथ मिल रहा है. बीजेपी जनता दल यूनाइटेड सभी दलों के नेता कार्यकर्ता सहयोग कर रहे हैं.

‘वो सक्षम थे फिर भी नहीं पढ़े’

एलजेपी (R) प्रत्याशी शांभवी चौधरी ने तेजस्वी यादव पर तंज करते हुए कहा- जो लोग सक्षम नहीं होने की वजह से पढ़ नहीं पाते हैं उनकी बात अलग है. लेकिन वह पढ़ने- लिखने के लिए सक्षम थे. उनका परिवार उन्हें पढ़ा-लिखा सकता था. इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं की. जब उन्होंने पढ़ाई की नहीं है. कोई काम किया नहीं है तो कहां से आएगा विजन. इसलिए उनके पास विजन नहीं है. राजनीति में शिक्षा का बहुत महत्व है.

महिलाओं के लिए क्या योजना है इस सवाल पर एलजेपी (R) प्रत्याशी ने कहा- हम युवाओं और महिलाओं को रोजगार, स्वरोजगार देना चाहते हैं. मुद्रा लोन ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक पहुंचाना चाहते हैं. लड़कियों के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज खोलना चाहते हैं. डिग्री कॉलेज खोलना चाहते हैं. महिलाओं को सशक्त करने की मेरी कोशिश है.

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