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विदेश से भोपाल आकर परिवार के साथ मतदान कर मनाया लोकतंत्र का उत्सव

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भोपाल। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का उत्सव राजधानी भोपाल में मंगलवार को उस समय चरम पर पहुंचा, जब अपने पसंदीदा प्रत्याशी को चुनने शहर के विभिन्न पोलिंग बूथों पर सुबह से ही लंबी-लंबी कतारें दिखाई देने लगीं। इन कतारों में भोपाल के रहवासियों के साथ लोकतंत्र के कुछ ऐसे भी नायक मौजूद थे, जो हजारों किलोमीटर दूर से अपने देश और शहर का भविष्य चुनने आए थे। किसी ने दोस्तों और घर-परिवार के साथ लोकतंत्र का पर्व मनाया और इंटरनेट मीडिया पर तस्वीरें शेयर कीं। वहीं, इतना लंबा फासला तय कर मतदान के लिए शहर पहुंचे कुछ लोगों के नाम जब वोटर लिस्ट से गायब हुए तो उन्हें निराशा भी हाथ लगी। विदेशों से विशेष तौर पर मतदान के लिए भोपाल आए लोगों से नवदुनिया ने विशेष चर्चा की और उनके अनुभव और उत्साह को जाना।

मतदान करने जर्मनी से आईं प्रशस्ति

 

 

जर्मनी में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रही प्रशस्ति तिवारी इन दिनों भोपाल स्थित अपने घर आई हैं। उन्होंने मंगलवार सुबह अपने माता-पिता के साथ हुजूर विधानसभा क्षेत्र में स्थित पोलिंग बूथ क्रमांक 284 में पहुंचकर मतदान किया और उसके बाद सेल्फी भी ली। बता दें कि प्रशस्ति के पिता डा. प्रभाकर तिवारी भोपाल में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) हैं, जबकि उनकी मां प्रज्ञा तिवारी भी डाक्टर हैं।

इंजीनियर मयंक ने ताइवान से आकर दिया वोट

 

 

सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर और इंजीनियर मयंक तिवारी लोकतंत्र का महापर्व मनाने ताइवान से भोपाल पहुंचे। मयंक फिलहाल अपनी पत्नी के साथ ताइवान में रहते हैं और एक साफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत हैं। वे बताते हैं कि मतदान सिर्फ हमारा अधिकार ही नहीं, बल्कि कर्तव्य भी है। इसी जिम्मेदारी को पूरा करने मैं वापस अपने घर आया हूं। मयंक ने कहा कि हमारा एक-एक मत लोकतंत्र को मजबूत बनाता है। प्रत्याशी चाहे हमारी पसंद के हों या न हों, लेकिन हमें पोलिंग बूथ पर पहुंचकर अपने कर्तव्य का पालन जरूर करना चाहिए।

थाईलैंड से आकर सुमित ने किया मतदान

 

 

इंद्रपुरी निवासी सुमित राय इन दिनों थाईलैंड में सिविल इंजीनियर के तौर पर कार्यरत हैं और मतदान के लिए भोपाल आए हुए हैं। सुमित ने बताया कि मैं पिछले छह महीने से परिवार से दूर था और वापस आने का प्लान वोटिंग को ध्यान में रखते हुए ही बनाया। मतदान ही लोकतंत्र को मजबूत करता है। देश की प्रगति के लिए सशक्त लोकतंत्र की आवश्यकता है। यहां मैंने अपने परिवार और दोस्तों के साथ मतदान किया और अन्य लोगों को भी मतदान के लिए प्रेरित किया।

 

 

 

 

दुबई से मतदान करने आए फैसल, लेकिन लिस्ट से नाम गायब

 

 

लोकतंत्र के महायज्ञ में आहूति देने फैसल खान भी दुबई से भोपाल पहुंचे थे, लेकिन यहां वोटर लिस्ट से उनका नाम ही हटा दिया गया। फैसल बताते हैं कि मतदान बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं और इसी को सार्थक करने मैं दुबई से भोपाल पहुंचा था, परंतु यहां मेरा वोटर लिस्ट से नाम हटा दिया गया। जबकि मेरे दिवंगत पिता का नाम अब भी वोटर लिस्ट में जुड़ा है। आजाद मार्केट निवासी फैसल ने बताया कि जब वोटिंग पर्चियां वितरित की जा रही थीं, तभी मेरे परिजनों ने मेरा नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाने का आग्रह किया था, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

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