जबलपुर: हाई कोर्ट ने श्रम न्यायालय के आदेशानुसार शेष राशि का भुगतान ब्याज सहित किए जाने की व्यवस्था दी है। इसके लिए 45 दिन की मोहलत दी गई है। इससे पूर्व याचिकाकर्ता को 15 दिन के भीतर मुख्य नगर पालिका, खुरई के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत करना हाेगा।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता देवेंद्र रैकवार पिता पूरन लाल रैकवार, निवासी शिवाजी वार्ड, पालिटेक्निक रोड, खुरई तहसील खुरई, जिला सागर की ओर से अधिवक्ता शंकर प्रसाद सिंह व पदमावती जायसवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता की नियुिक्त एक मार्च, 2003 को दैनिक वेतनभोगी के स्वीकृत पद पर भृत्य बतौर की गई थी।
आठ फरवरी, 2011 के मौखिक आदेश से सेवा समाप्त कर दी गई। जिसके विरुद्ध श्रम न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किया गया। 26 सितंबर, 2014 को अवार्ड पारित करते हुए निर्देश दिया गया कि एक माह के भीतर पुन: सेवा में बहाल किया जाए। यही नहीं एक माह के भीतर 50 प्रतिशत पिछला भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए। विभाग ने इस आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
27 दिसंबर, 2021 को याचिका लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता को पुन: सेवा में ले लिया गया। बाद में याचिका निरस्त कर दी गई। इसके बावजूद मुख्य नगर पालिका, खुरई के द्वारा याचिकाकर्ता को श्रम न्यायालय द्वारा पारित आदेश के परिप्रेक्ष्य में 80 हजार 413 रुपये का भुगतान नहीं किया गया। लिहाजा, अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया। अभ्यावेदन का निराकरण न होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।
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