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Nestle की बेबी फूड में मामले में बढ़ेगी परेशानी, FSSAI अब रिपोर्ट की करेगी जांच

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अगर आप भी अपने बच्चों को प्रोसेस्ड फूड हेल्दी समझकर खिला रहे हैं तो यह रिपोर्ट आपके काम की है. दरअसल, बच्चों का प्रोसेस्ड फूड बनाने के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में से एक नेस्ले पर बड़े सवाल खड़े हुए हैं. कंपनी भारत सरकार की जांच के घेरे में नेस्ले कंपनी आ चुकी है. जिसके चलते Nestle की मुसीबतें जल्द बढ़ने वाली है. दरअसल केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ने FSSAI को नेस्ले इंडिया के कम विकसित देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचने की रिपोर्ट पर गौर करने को कहा है. स्विस गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि नेस्ले ने यूरोप के अपने बाजारों की तुलना में भारत सहित कम विकसित दक्षिण एशियाई देशों, अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में अधिक चीनी वाले शिशु उत्पाद बेचे.

रिपोर्ट का लेंगे संज्ञान

उपभोक्ता मामलों की सचिव एवं केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की प्रमुख निधि खरे ने सरकारी एजेंसी से कहा, हमने एफएसएसएआई को नेस्ले के शिशु उत्पाद पर आई रिपोर्ट का संज्ञान लेने के को कहा है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने भी रिपोर्ट पर गौर किया और एफएसएसएआई को नोटिस जारी किया है. इस बीच नेस्ले इंडिया ने बृहस्पतिवार दावा किया था कि उसने पिछले पांच वर्षों में भारत में शिशु आहार उत्पादों में चीनी में 30 प्रतिशत से अधिक की कमी की है.

कंपनी ने क्या कहा?

कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, चीनी में कमी करना नेस्ले इंडिया की प्राथमिकता है. पिछले पांच वर्षों में हमने उत्पाद के आधार पर चीनी में 30 प्रतिशत तक की कमी की है. हम नियमित रूप से अपने उत्पादों की समीक्षा करते रहते हैं और पोषण, गुणवत्ता, सुरक्षा तथा स्वाद से समझौता किए बिना चीनी के स्तर को कम करने के लिए अपने उत्पादों में सुधार करते रहते हैं.

कंपनी ने किया दावा

नेस्ले इंडिया ने दावा किया कि उसके शिशु अनाज उत्पादों का निर्माण बच्चों की प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज, लौह आदि जैसी पोषण संबंधी आवश्यकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है. प्रवक्ता का कहना है कि वो अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करते हैं और न ही करेंगे. अपने उत्पादों की पोषण संबंधी उत्पादों को बढ़ाने के लिए अपने व्यापक वैश्विक अनुसंधान व विकास नेटवर्क की लगातार मदद लेते हैं. नेस्ले इंडिया ने कहा कि वह अपने उपभोक्ताओं को सर्वोत्तम पोषण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो हम 100 वर्षों से अधिक समय से कर रहे हैं. हम अपने उत्पादों में पोषण, गुणवत्ता और सुरक्षा के उच्चतम मानकों को बनाए रखने को प्रतिबद्ध हैं.

क्या है पूरा मामला?

रिपोर्ट में विभिन्न देशों में बेचे जाने वाले करीब 150 विभिन्न शिशु उत्पादों का अध्ययन किया गया.रिपोर्ट के अनुसार, छह महीने के बच्चों के लिए नेस्ले का गेहूं आधारित उत्पाद सेरेलैक ब्रिटेन तथा जर्मनी में बिना किसी अतिरिक्त चीनी के बेचा जाता है, लेकिन भारत से विश्लेषण किए गए 15 सेरेलैक उत्पादों में एक बार के खाने में औसतन 2.7 ग्राम चीनी थी.

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में पैकेजिंग पर चीनी की मात्रा बताई गई थी. उत्पाद में सबसे अधिक चीनी थाईलैंड में छह ग्राम पाई गई. फिलीपीन में आठ नमूनों में से पांच में चीनी की मात्रा 7.3 ग्राम पाई गई और इसकी जानकारी पैकेजिंग पर भी घोषित नहीं की गई थी.

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