Breaking News in Hindi
ब्रेकिंग
मंदिर में शिल्पा शेट्टी के फोटो खिंचवाने पर बवाल, सेवादार और एक अधिकारी को नोटिस बाढ़ प्रभावित किसानों के खाते में ₹101 करोड़ जारी… दिवाली पर CM नीतीश कुमार की बड़ी सौगात एनसीआर में मेथ लैब का भंडाफोड़, तिहाड़ जेल वार्डन, मैक्सिकन नागरिक सहित 5 गिरफ्तार दिल्ली में आयुष्मान से बेहतर फरिश्ता, बम से उड़ाने की धमकी पर केंद्र चुप क्यों… AAP का BJP पर हमला गाजीपुर: 65 साल के बुजुर्ग ने लगाई जीत की झड़ी, सेना के पूर्व कैप्टन ने जमाया 9 मेडल पर कब्जा हिजबुल्लाह का नया चीफ बना नईम कासिम, नसरल्लाह की लेगा जगह, दोनों कर चुके हैं साथ काम चमड़े के बैग पर ट्रोल हो रही थीं जया किशोरी, अब खुद दिया ये जवाब जेपीसी की बैठक में क्या हुआ था, जिसके बाद हुई झड़प…कल्याण बनर्जी ने बताई पूरी घटना यूपी उपचुनाव: साइलेंट प्लेयर की भूमिका में कांग्रेस, सपा के लिए सियासी नफा या फिर नुकसान राजस्थान: पुलिया से टकराई बस, 11 लोगों की मौत, 20 से अधिक लोग घायल

जो कभी रहे नीतीश कुमार के खास, वही अब बन रहे चिराग के गले की फांस

6

बिहार में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा बनने में चिराग पासवान भले ही अपने चाचा पशुपति पारस पर भरी पड़ गए हों, लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव में उनके लिए किसी अग्निपरीक्षा के कम नहीं है. बीजेपी ने चिराग पासवान की एलजेपी (आर) को पांच सीटें दी है, जहां पर उनके सामने कई चुनौती हैं. एक तरफ तो उन्हें अपने चाचा के साथियों के भितरघात से निपटना होगा दूसरी तरफ जेडीयू से ‘खेला’ का खतरा बना हुआ है. 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारकर नीतीश कुमार के साथ गेम कर दिया था. ऐसे में अब जिनको कभी नीतीश कुमार का खास कहा जाता था वही अब चिराग पासवान के गले की फांस बनते दिख रहे हैं.

बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा नीतीश कुमार की जेडीयू, चिराग पासवान की एलजेपी (आर), जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम है. एनडीए के सीट शेयरिंग में पांच सीटें चिराग के खाते में आई है, जिनमें जमुई, समस्तीपुर, हाजीपुर, वैशाली और खगाड़िया सीट है. चिराग ने अपनी सभी पांचों सीट पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रखा है. चिराग ने पशुपति पारस के साथ बगावत करने वालों में सिर्फ वैशाली से वीणा देवी को टिकट दिया है जबकि बाकी सीट पर नए चेहरे उतारे हैं.

अभी तक साइलेंट मोड में हैं पशुपति पारस

वीणा देवी के सिवा पशुपति पारस के साथ रहने वाले किसी भी नेता को टिकट नहीं मिला. ऐसे में पशुपति पारस भले ही एनडीए के साथ रहने की बात कर रहे हों और साइलेंट मोड में हो, लेकिन उनके साथ भितरघात के फिराक में है. इसके अलावा जेडीयू भले ही खुलकर कुछ न बोल रही हो, लेकिन सियासी खेला का ताना बाना बुन रही है. चिराग ने जिस तरह से 2020 में 134 प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें ज्यादातर जेडीयू उम्मीदवार के खिलाफ लड़े थे. जेडीयू की सीटें कम होने के लिए नीतीश ने चिराग पर आरोप मढ़े थे.

अब चिराग उनके साथ एनडीए का हिस्सा हैं तो भले ही नीतीश उनके साथ वैसा दांव न चले, लेकिन जिस तरह जेडीयू के नेता एलजेपी (आर) की सीट पर बागी रुख अपनाए हुए हैं, उससे चिराग पासवान की सियासी टेंशन बढ़ सकती है. नीतीश कैबिनेट में मंत्री व जेडीयू नेता माहेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है और अब चुनावी मैदान में उतरने के फिराक में है. इसी तरह से मुन्ना शुक्ला ने जेडीयू छोड़कर आरजेडी का दामन थाम लिया है और वैशाली सीट से वो अपनी पत्नि को चुनाव लड़ाने की तैयार में है. इसी तरह से बाकी सीटों का भी हाल है, जिसके चलते ही कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश क्या 2020 का हिसाब अब 2024 में करना चाहते हैं?

जमुई: नीतीश के करीबी अब आरजेडी के साथ

जमुई लोकसभा सीट से चिराग पासवान ने खुद लड़ने के बजाय अपने बहनोई अरुण भारती को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर कई पासवान नेता टिकट के दावेदार थे, लेकिन चिराग ने अपने जीजा पर ही भरोसा जताया. आरजेडी ने अर्चना रविदास को टिकट दिया है. बिहार सरकार में मंत्री सुमित सिंह के भाई अजय प्रताप सिंह ने आरजेडी का दामन थाम लिया है. सुमीत सिंह को नीतीश का करीबी माना जाता है, क्योंकि उनके पिता नरेंद्र सिंह लंबे समय तक जेडीयू में रहे हैं. सुमीत के भाई अजय प्रताप सिंह का आरजेडी में शामिल होना चिराग के लिए टेंशन बन सकती है. इसके पीछे वजह यह है कि जेडीयू के मूल वोट पर प्रभाव पड़ सकता है, उनका झुकाव एनडीए की तरफ रहेगा या फिर कोई दांव चलेंगे?

समस्तीपुर: जेडीयू के मूल वोटों में बिखराव संभव

समस्तीपुर लोकसभा सीट पर चिराग पासवान ने शांभवी चौधरी को प्रत्याशी बनाया है, जो जेडीयू नेता अशोक चौधरी की बेटी हैं और पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की बहू हैं. वहीं, जेडीयू के वरिष्ठ नेता और नीतीश सरकार में मंत्री महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है. सन्नी हजारी के चलते जेडीयू के वोटर हो हिस्से में बंट सकते हैं, क्योंकि माहेश्वर हजारी काफी पुराने नेता है. सांसद तक रह चुके हैं. हालांकि, माहेश्वर हजारी को कहना पड़ा कि जेडीयू के समर्पित नेता है और उनके बेटे का अपना निर्णय है. समस्तीपुर से सांसद प्रिंस पासवान अब पशुपति पारस के साथ हैं. ऐसे में प्रिंस पासवान की अपनी भी पकड़ है, जिसके चलते एलजेपी की चिंता बढ़ सकती है.

खगाड़िया: महबूब कैसर क्या खेला करेंगे

खगड़िया लोकसभा सीट से चिराग पासवान ने राजेश वर्मा को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर महबूब अली कैसर का टिकट काट दिया है, क्योंकि पशुपति पारस के साथ मिलकर चिराग के खिलाफ तख्तापलट किया था. हालांकि, बाद में महबूब कैसर ने पाला बदल लिया था और चिराग के साथ मुलाकात की थी. इसके बाद भी उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया. इसके अलावा पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा भी खगड़िया सीट से टिकट मांग रही थी, जिसके चलते वो भी नाराज मानी जा रही है. इसके अलावा राजेश वर्मा के साथ जेडीयू के नेता नजर नहीं आ रहे हैं. महबूब कैसर के बेटे आरजेडी से विधायक हैं, जिसके चलते राजेश वर्मा को घर से लेकर बाहर तक सियासी भितरघात का खतरा दिख रहा है.

वैशाली: चिराग के लिए कई चुनौती

वैशाली लोकसभा सीट से चिराग पासवान ने पारस गुट की नेता और मौजूदा सांसद वीणा देवी को प्रत्याशी बनाया है. एलजेपी को तोड़ने वाले नेताओं में वीणा देवी का नाम सबसे पहले आता है. इसके बाद भी प्रत्याशी बनाया है, जिसके चलते रविंद्र सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं, जेडीयू नेता मुन्ना शुक्ला जेडीयू छोड़कर आरजेडी में शामिल हो गए हैं. माना जा रहा है कि आरजेडी मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नू शुक्ला को प्रत्याशी बना सकती है. वैशाली सीट पर पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और अरुण सिंह पहले से ही चिराग से नाराज चल रहे हैं. अरुण सिंह भी चिराग का साथ छोड़ चुके हैं तो सुरजभान सिंह को पशुपति पारस का करीबी माना जाता है.

सूरजभान की मुन्ना शुक्ला से नजदीकी किसी से छिपी नहीं है. वैशाली से मुन्ना शुक्ला की पत्नी को टिकट मिलता है तो सूरजभान समर्थन कर सकते हैं. वो भूमिहारों के बड़े नेता हैं. मुन्ना शुक्ला जेडीयू में रहे हैं. जेडीयू के कार्यकर्ता अगर मुन्ना शुक्ला अपने साथ जोड़ने में सफल रहते हैं तो वैशाली में एलजेपी के साथ बड़ा खेला हो जाएगा. पूर्व सांसद अरुण कुमार ने साथ छोड़ दिया जबकि चिराग उन्हें अभिभावक मानते थे. अरुण सिंह का अपनी भी पकड़ है. इसीलिए खतरा नजर आ रहा.

हाजीपुर: भतीजे के खिलाफ चाचा चलेंगे दांव

हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर पशुपति पारस इस कदर जिद पर अड़े रहे कि एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन खाली हाथ. बीजेपी ने हाजीपुर सीट चिराग पासवान को दे दी है, जहां से वो चुनावी मैदान में उतरेंगे. 2019 में हाजीपुर लोकसभा सीट से पशुपति पारस सांसद बने थे, उससे पहले रामविलास पासवान सांसद थे. ऐसे में अब चिराग चुनावी मैदान में किस्मत आजमाएंगे तो पशुपति पारस किसी खेला कर सकते हैं. पशुपति का अपना हाजीपुर में एक बड़ा समर्थक वर्ग है. उनके टिकट कटने से नाराज माने जा रहे हैं. सीट शेयरिंग के बाद से लगातार कई नेताओं ने चिराग का साथ छोड़ दिया है. ऐसे में देखना है कि चिराग अपने चाचा का साथ पाते हैं कि नहीं?

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.