बीजेपी की लोकसभा प्रत्याशियों की दूसरी सूची आज आने की संभावना है. इस बीच बिहार को लेकर बड़ी सियासी जानकारी सामने आई है. चिराग पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे, जबकि चाचा पशुपति पारस को राज्यपाल पद का ऑफर मिला है.
बीजेपी ने माना है कि चिराग पासवान का गुट ही असली एलजेपी है. शायद इसी वजह से पशुपति पारस गुट के कोटे में एक भी सीट नहीं आई है. चिराग के साथ ही राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत और बड़ा वोटबैंक है.
जेपी नड्डा ने चिराग पासवान के साथ बैठक की. इस बैठक से पहले मंगल पांडे ने भी पशुपति पारस से सीट बंटवारे को लेकर मुलाकात की थी. इस बैठक में मंगल पांडे ने पशुपति पारस को बताया था हाजीपुर सीट बीजेपी चिराग पासवान को देना चाहती है. आपको बता दें, हाजीपुर सीट से पशुपति पारस सांसद हैं.
चिराग ने भी हाजीपुर पर ठोका था दावा
चिराग पासवान ने भी हाजीपुर सीट से अपना दावा ठोका था. चिराग का कहना है कि राम विलास पासवान के राजनैतिक उत्तराधिकारी वो हैं इसलिए गठबंधन में हाजीपुर सीट उनको ही मिलनी चाहिए. पशुपति पारस का दावा था राम विलास पासवान ने अपने जीते जी हाजीपुर पर सीट से उन्हें उम्मीदवार बनाया था इसलिए वो हाजीपुर सीट के असली हकदार हैं. इस सीट पर चिराग के दावा ठोंकने से ही दोनों चाचा भतीजे के रिश्ते में खटास आ गयी थी. हालांकि अब बीजेपी ने साफ़ कर दिया है कि चिराग पासवान ही हाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे.
क्यों है चाचा भतीजे में खटपट?
दरअसल, राम विलास पासवान के निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो हिस्सों में बंट गई. इसका एक हिस्सा ‘राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी’ उनके भाई पशुपति कुमार पारस के साथ है, जबकि दूसरा हिस्सा उनके बेटे चिराग पासवान के पास है. फिलहाल हाजीपुर सीट से रामविलास के भाई और चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस सांसद हैं. वो एनडीए के साथ हैं और सरकार केंद्रीय मंत्री भी हैं. वहीं चिराग पासवान बिहार की जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं. हाजीपुर सीट से रामविलास पासवान काफी समय से सांसद रहें है. इस सीट पर जब चिराग ने दावा किया तो दोनों चाचा भतीजों में तीखी प्रक्रिया देखी गयी.
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