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कांग्रेस के खातों में क्यों हुई इनकम टैक्स की तालाबंदी, क्या है 115 करोड़ का हिसाब-किताब?

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इनकम टैक्स विभाग ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और यूथ कांग्रेस के खातों को पहले फ्रीज कर दिया. उसके बाद कांग्रेस पहुंच गई ऐसे टैक्स विवादों की सुनवाई करने वाले अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) के पास, जहां से उसे अंतिम राहत मिल गई. लेकिन उसे ये राहत मिली एक शर्त के साथ कि कांग्रेस को अपने खातों में 115 करोड़ रुपए की राशि मेंटेन करनी है. आखिर 115 करोड़ रुपए ‘फ्रीज’ करने का ये पूरा माजरा क्या है? वहीं ये बात भी समझनी होगी कि देश में जब राजनीतिक दलों को आयकर से 100 प्रतिशत छूट मिली है, तो इनकम टैक्स विभाग ने कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपए का टैक्स कैसे बकाया बताया है? चलिए आपको फटाफट समझाते हैं ये हिसाब-किताब…

शुक्रवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय माकन ने एक प्रेस कान्फ्रेंस की और बताया कि इनकम टैक्स विभाग ने कांग्रेस पार्टी और उसकी यूथ विंग के अकाउंट फ्रीज कर दिए हैं. साथ ही पार्टी के खिलाफ 210 करोड़ रुपए की टैक्स डिमांड निकाली है. ये मामला अभी का नहीं बल्कि 5 साल पुराना, पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त यानी वित्त वर्ष 2018-19 का है. कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इनकम टैक्स विभाग की इस कार्रवाई का ‘लोकतंत्र पर हमला’ बताया है.

कांग्रेस को आईटीएटी से जो राहत मिली है, उसके साथ 115 करोड़ रुपए की लिमिट मेंटेन करने के लिए ‘ लिएन मार्क अकाउंट’ शब्द का प्रयोग किया गया है. बस इसे समझ लिया, तो आपको कांग्रेस के अकाउंट फ्रीज होने का पूरा मामला समझ आ जाएगा.

क्या है 115 करोड़ रुपए का चक्कर?

‘लिएन मार्क अकाउंट’ को आप ‘गारंटी’ शब्द से अच्छे से समझ सकते हैं. जब हम कोई लोन लेने जाते हैं, जैसे कि कार या होम लोन, तब बैंक गारंटी के तौर पर उसके पेपर्स अपने पास रख लेता है. ताकि वसूली ना होने पर उसकी रकम ना डूबे और वह सुरक्षित रहे. जब से लोगों ने अपने ईएमआई और अन्य बिल पेमेंट को ऑनलाइन और ऑटोमेटिक किया है, तब से उनके अकाउंट पर भी ‘लिएन मार्क’ लगने लगा है.

अब इसी बात को कांग्रेस के केस में समझते हैं. कांग्रेस पर इनकम टैक्स विभाग ने 210 करोड़ रुपए का बकाया निकाला है. इसके खिलाफ कांग्रेस ने आईटीएटी में अपील की है. इस तरह अब ये मामला कानूनी विवाद का हो गया है, ऐसे में अब जब तक मामले का अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक ये फंसा ही रहेगा.

इस तरह के केस में जब किसी संस्था या व्यक्ति पर टैक्स बकाया होता है, उसने लोन ईएमआई नहीं चुकाई होती, अकाउंट से हुआ लेन-देन संदिग्ध लगता है या क्रेडिट कार्ड का बिल बकाया होता है. तब संबंधित अथॉरिटी के अनुरोध पर उस व्यक्ति या संस्था के खाते को आंशिक तौर पर फ्रीज कर दिया जाता है. मामले का अदालत से फैसला आने तक के लिए सिक्योरिटी या गारंटी के तौर पर एक निश्चित रकम को ‘फ्रीज’ कर दिया जाता है. इसे ही किसी अकाउंट को ‘लिएन मार्क’ करना कहते हैं. कांग्रेस के केस में ये राशि 115 करोड़ रुपए है.

कांग्रेस पर लग सकता है 210 करोड़ का टैक्स?

अब सवाल ये है कि क्या इनकम टैक्स विभाग कांग्रेस पर 210 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया लगा सकता है. इसके लिए आपको इससे जुड़े कानून को समझना होगा. भारत में पॉलिटिकल पार्टियों को आयकर कानून की धारा 13A के तहत 100 प्रतिशत टैक्स छूट मिलती है. ये उन्हीं पार्टियों को मिलती है, जो ‘जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा-29C के तहत रजिस्टर्ड होती हैं. हालांकि इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होता है.

इन शर्तों में दान देने वालों की जानकारी, पार्टी के खातों की ऑडिट रिपोर्ट और चुनाव आयोग को चंदा और उससे जुड़ी जानकारियां देना शामिल है. ऐसे में कांग्रेस पर की गई कार्रवाई को लेकर ये बात कही जा रही है कि उसने इनकम टैक्स रिटर्न भरने में देरी की थी. हालांकि अब ये मामला अपीलीय प्राधिकरण के पास पहुंच गया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

इस पूरे मामले को लेकर टीवी9 डिजिटल ने एक्सपर्ट्स से बातचीत की. टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन का कहना है कि कांग्रेस के खाते अगर फ्रीज करने की बात सामने आई है, तो मुमकिन है कि इनकम टैक्स ने उसे पहले बकाया टैक्स का नोटिस भेजा होगा. ये एक तय प्रक्रिया का हिस्सा है. देश में राजनीतिक दलों को आयकर से छूट कुछ नियम-शर्तों के तहत मिली है. ऐसे में पूरी जानकारी सामने आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि कांग्रेस के खिलाफ 210 करोड़ रुपए का बकाया टैक्स कैसे निकला है. वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि कानून होने के बावजूद आयकर विभाग नोटिस जारी कर देता है, ऐसे में ये टैक्स मांग जायज है या नहीं इसका फैसला कानूनी और अदालती जिरह के बाद ही होगा.

वहीं टैक्स एडवाइजर अभिषेक रस्तोगी का कहना है कि इस मामले को मैरिट के आधार पर देखा जाना चाहिए. इसके लिए सभी कानूनी और वैधानिक प्रावधानों पर गौर किया जाना चाहिए.

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