ज्ञानवापी केस में बुधवार को बड़ा फैसला आया. हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाना में पूजा का अधिकार मिल गया. वाराणसी कोर्ट ने यह फैसला सुनाया. वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मंगलवार को हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्ष की तरफ से बहस पूरी कर ली गई थी. ज्ञानवापी मस्जिद में एक तहखाना है, जिसमें एक देवता के विग्रह की पूजा का काम सोमनाथ व्यास किया करते थे.
जिला जज ने अपने आदेश में कहा है कि विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों से पूजा कराई जाए बैरिकेडिंग हटाने की व्यवस्था की जाए. याचिका में सोमनाथ व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक ने तहखाने में पूजा पाठ की इजाजत मांगी थी. 17 जनवरी को व्यास जी के तहखाने को जिला प्रशासन ने कोर्ट के आदेश से अपने नियंत्रण में ले लिया था. एएसआई सर्वे कार्रवाई के दौरान तहखाने की साफ-सफाई हुई थी.
दिसंबर 1993 में राज्य की मुलायम सिंह यादव सरकार के मौखिक आदेश पर तहखाने में पूजा पाठ पर रोक लगाते हुए तहखाने को सील कर दिया गया. बाद में इसकी बेरिकेटिंग भी कर दी गई. व्यास जी यानी सोमनाथ व्यास ने अपने 2 साथियों रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय के साथ मिलकर ज्ञानवापी परिसर में रकबा संख्या 9130, 1931 और 1932 के अधिकारी संबंधी याचिका डाली.
इस याचिका में अर्जी नंबर 9130, 31,32 को आदि विशेश्वर की संपत्ति बताई गई. 1993 से तहखाना बन्द रहा और कस्टोडियन के तौर पर वाराणसी के ज़िलाधिकारी के पास तहखाने की चाभी रखी रही. साल 2016 में सोमनाथ व्यास के नाती शैलेन्द्र पाठक ने वाराणसी कोर्ट में याचिका डालकर अपनी संपत्ति वापस मांगी.
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