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इंदौर के होलकर स्टेडियम से फिर दुनिया सीखेगी स्वच्छता के संस्कार, 14 जनवरी को होना है टी-20 मुकाबला

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इंदौर। इंदौर के स्वच्छता में सातवीं बार देश में शीर्ष पायदान छूने के सफर में हर शहरी का सहयोग शामिल रहा है। इस यज्ञ में शहर के खेल जगत खासकर क्रिकेट का भी अमूल्य योगदान है। इंदौर के स्वच्छता के संस्कारों को होलकर स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के बहाने पूरी दुनिया में फैला रहा है।

स्वच्छता के संस्कारों और सरोकारों की गूंज दुनियाभर में

यहां होने वाले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच जीरो वेस्ट थीम पर आयोजित होते हैं। इससे इंदौर के स्वच्छता के संस्कारों और सरोकारों की गूंज दुनियाभर में फैली। 14 जनवरी को भारत और अफगानिस्तान के बीच होने वाला अंतरराष्ट्रीय टी-20 मुकाबला भी जीरो वेस्ट थीम पर होगा।

क्रिकेट मैच के प्रति भारतीयों का रुझान किसी से छिपा नहीं है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच के जरिए इंदौर विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मैच के बहाने इंदौर से दुनिया को स्वच्छता की सीख भी मिलती है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में 30 हजार के करीब लोग स्टेडियम में एक साथ इकट्ठा होते हैं। इतनी बड़ी भीड़ चाय-नाश्ता करती है, भोजन करती है, स्टेडियम में बैनर-पोस्टर लगते हैं। हजारों किलो कचरा कुछ घंटों में इकट्ठा होता है, लेकिन यहां थ्री-आर कांसेप्ट के तहत इनका निस्तारण भी तत्काल होता है।

वर्ष 2015 से जीरो वेस्ट इवेंट

यह देश का एकमात्र स्टेडियम है, जहां वर्ष 2015 से जीरो वेस्ट इवेंट हो रहे हैं। मैचों के दौरान निकलने वाले गीले कचरे से खाद तैयार होती है। इसके लिए स्टेडियम परिसर में ही विशेष मशीन लगाई जाती हैं। यहां इन मशीनों के जरिए खाद बनाने की पहली प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद रात को ही इन्हें शेष प्रक्रिया के लिए भेज दिया जाता है। शेष कचरे को छांटते हुए दो हिस्सों (रिसाइकल और रियूस) में बांटा जाता है।

पालीथीन या प्लास्टिक का न के बराबर इस्तेमाल

यहां पालीथीन या प्लास्टिक का न के बराबर इस्तेमाल किया जाता है। पानी के गिलास से लेकर खाने की थाली तक कागज या रिसाइकिल होने वाले पदार्थों से बनती हैं। इसके अलावा स्टेडियम में विभिन्न कंपनियां अपने प्रचार के लिए फ्लेक्स लगाती हैं। यहां देश के अन्य स्टेडियम की तरह फ्लेक्स इस्तेमाल नहीं होते, बल्कि फ्लेक्स के स्थान पर विशेष प्रकार के कपड़े से बने पोस्टर स्टेडियम में इस्तेमाल किए जाते हैं। मैच के बाद विशेष कपड़े से बने इन पोस्टरों से थैले बनाए जाते हैं। इन्हें विभिन्न स्थानों पर निशुल्क बांटा जाता है। इसी तरह रिसाइकल हो सकने वाले कचरे का दोबारा इस्तेमाल किया जाता है।

नीचे करीब 12 कुएं बने

होलकर स्टेडियम के जिस मैदान पर रन और बल्ले के बीच संघर्ष का प्रशंसक लुत्फ उठाते हैं, उसके नीचे करीब 12 कुएं बने हैं। छत और गैलरी सहित वर्षा का पानी इन कुओं के माध्यम से जमीन में उतर जाता है। इससे न सिर्फ स्टेडियम बल्कि समीप के पूरे क्षेत्र का जमीनी जलस्तर बढ़ा है।

एमपीसीए के मीडिया प्रभारी व पूर्व अंतरराष्ट्रीय अंपायर राजीव रिसोड़कर ने बताया कि होलकर स्टेडियम एक बार फिर पूरी दुनिया को इंदौर के स्वच्छता के संस्कारों की सीख देने को तैयार है। 14 जनवरी को भारत और अफगानिस्तान के बीच होने वाला मुकाबला भी जीरो वेस्ट थीम पर होगा।

इनका कहना है

एक इंदौरी होने के नाते हमें वैसी ही खुशी होती है जैसे हमारी टीम के जीतने पर राष्ट्र को होती है। इसमें हम सभी का योगदान है। हमारे स्वच्छता प्रहरियों ने गजब का काम किया है और इनके साथ सहयोगी की भूमिका में नगर निगम के अधिकारी सहित हम सभी नागरिक हैं। मप्र क्रिकेट संगठन ने भी स्वच्छता के यज्ञ में अपनी आहूति दी है। शहर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय मैच जीरो वेस्ट थीम पर होते हैं। थ्री-आर के विचार पर चलते हुए कचरे से स्टेडियम में ही खाद बनती है, पोस्टर से थैले बनते हैं। इससे दुनियाभर में इंदौर के स्वच्छता के संस्कारों की पहचान फैली है। -संजीव राव, सचिव, मप्र क्रिकेट संगठन

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