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शादी, सामाजिक कार्यक्रमों के लिए म्यूजिक लाइसेंस अनिवार्य नहीं, फिर भी की जा रही मनमानी

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इंदौर। म्यूजिक कापीराइट एक्ट के ऐवज में वसूली जा रही रायल्टी फीस को अवैध वसूली बताकर प्रदेश के इवेंट आर्गेनाइजर और पेशे से जुड़े तमाम कारोबारी एक मंच पर आ गए है। कारोबारियों ने आरोप लगाया है कि निजी-सामाजिक समारोह में कापीराइट एक्ट लागू नहीं होता। फिर भी धमका कर वसूली हो रही है। इस मामले में मंगलवार को एसोसिएशन के पदाधिकारी कलेक्टोरेट में आयोजित जनसुनवाई में पहुंचकर शिकायत दर्ज करवाने की तैयारी कर रही है।

हाल ही में कंबाइंड इनिशिएटिव फॉर इवेंट मैनेजर्स वेलफेयर एसोसिएशन (सिएमा) के सदस्यों ने बैठक की। इंदौर में आयोजित बैठक के दौरान आवाज उठी कि म्यूजिक लाइसेंस फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड (पीपीएल), इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी (आइपीआरएस ) और नोवेक्स द्वारा शादी-पार्टी में म्यूजिक चलाये जाने पर अवैध वसूली की जा रही है।

अवैध लाइसेंस फीस वसूलने के लिए इवेंट आयोजकों, गार्डन, रेस्टोरेंट और होटल संचालकों को डराया, धमकाया जा रहा है। जबकि यह कानून शादी, समारोह और सोशल इवेंट्स पर लागू ही नहीं होता। सिएमा के अध्यक्ष निमेष पितलिया ने बताया कि शादी-ब्याह व अन्य समारोहों में बजने वाले गाने कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है और न ही कोई रॉयल्टी मांग सकता है।

निमेष पितलिया ने संवर्धन उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के एक पब्लिक नोटिस का हवाला भी दिया जो विभाग के अंडर सेक्रेटरी नवीन कुमार द्वारा 24 जुलाई 2023 को जारी किया गया था। इस पत्र में बताया गया कि कई लोगों ने इस तरह की अवैध वसूली की शिकायत की है जबकि स्पष्ट है कि कॉपीराइट एक्ट 1957 की धारा 52 (1) के तहत किसी धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम में किसी तरह के साहित्य, नाटक, गीत या संगीत की प्रस्तुति कॉपीराइट के उल्लंघन में नहीं आती। यानी धार्मिक, आधिकारिक समारोह में किसी भी रूप में ध्वनि रिकॉर्डिंग इस दायरे से बाहर है। इन्हें बजाने के लिए कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं चाहिए। फिर भी कार्यवाही का डर दिखाकर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

सिएमा के सचिव ध्रुव मेहता ने बताया कि शासन, प्रशासन ने आयोजनों की समय सीमा रात 10 बजे तक कर दी है, जो व्यावहारिक नहीं है। शहरी दिनचर्या के चलते किसी भी शादी, पार्टी या अन्य समारोह में मेहमान रात 9, साढ़े 9 बजे के बाद ही आ पाते हैं। ऐसे में रात 10 बजे तक कार्यक्रम को खत्म करना असंभव है। इसलिए इस समय सीमा को भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

सिएमा सदस्यों के मुताबिक वेडिंग और इवेंट इंडस्ट्री लाखों करोड़ रुपए की इंडस्ट्री है। इसमें काम करने वाले लोग हजारों करोड़ रुपए राजस्व देते हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था का विकास होता है। लेकिन म्यूजिक लाइसेंस के नाम पर की जाने वाली मनमानी, अवैध वसूली और आयोजन की समय सीमा ने इंडस्ट्री का आर्थिक विकास रोक दिया है। लोग अब बड़े आयोजन करने से बचने लगे हैं और कई सम्पन्न परिवारों के लोग विदेशों की ओर रूख कर रहे हैं। देश का पैसा बाहर जा रहा है और यहां आर्थिक विकास अवरूद्ध हो रहा है।

शोर के समय से रोजगार का संकट

बताया जा रहा है कि सिर्फ लाइसेंस ही नहीं बल्कि कई कारणों के चलAते सम्पन्न घराने के लोग विदेशों में जाकर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। भारतीय शादियां बाहरी देशों में होने के कारण और बड़े Aकार्यक्रम नहीं हो पाने के कारण इस इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों का रोजगार कम हो रहा है। शादियों और इवेंट्स से ही हजारों लोगों को रोजगार मिलता है।

लाइसेंस फीस के नाम पर धांधली पर रोक लगाने और कार्यक्रमों की रात्रिकालीन समय सीमा को आगे बढ़ाने पर यहां रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि होगी क्योंकि पहले से ज्यादा शादियां और इवेंट्स होंगे। सिएमा के सदस्य इस तरह की समस्याओं और मांग को लेकर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने और उन्हें इनसे अवगत करवाने की योजना बना रहे हैं।इससे पहले स्थानीय स्तर पर विरोध होगा। पहले चरण में जिला मजिस्ट्रेट के सामने शिकायत दर्ज करवाई जाएगी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के कई प्रदेशों में ‘वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने की बात कही है ताकि भारतीय पैसा यहीं पर खर्च हो और अर्थ व्यवस्था मजबूत बने। बताया जा रहा है कि हर वर्ष करीब 5 हजार भारतीयों की डेस्टिनेशन Aवेडिंग विदेशों में होती है जिसमें एक लाख करोड़ रुपए तक खर्च होते हैं। अगर ये शादियां यहीं पर होगी तो इस इंडस्ट्री से जुड़े सभी लोगों के लिए रोजगार की नई संभावनाएं जन्म लेंगी।

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