एमबीए छात्रा पर जानलेवा हमले और दुष्कर्म की कोशिश मामले में कोर्ट के फैसले से पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
भोपाल। कोलार इलाके में दो साल पहले एमबीए छात्रा के साथ जानलेवा हमले और दुष्कर्म की कोशिश के मामले में आखिर वही हुआ, जिसको लेकर वह घटना के बाद से सवाल उठा रही थी। उसकी तमाम कोशिशों के बाद पुलिस ने आरोपित की गिरफ्तारी और जांच पूरी कर कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया था, लेकिन इस मामले में कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में आरोपित को बरी कर दिया। इस मामले में पीड़िता का कहना है कि वह घटना के पहले ही दिन से पुलिस की लापरवाही को लेकर चिंतित थी। इस मामले में कोर्ट ने भी पुलिस विवेचना की खामी माना है। साथ ही कोर्ट ने एसपी पत्र भेजकर विवेचना अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात लिखी है।
यह था मामला
हम बता दें कि 16 जनवरी 2021 को हुई घटना में कोलार रोड पुलिस ने चश्मदीद कमल बैरागी की निशानदेही पर आरोपित अनिल बोरकर उर्फ नान को 8 फरवरी को गिरफ्तार किया था। 16 जनवरी 2021 को युवती शाम को टहल रही थी, उस समय एक युवक तेजी से आया और उनको पुलिया से नीचे धकेल दिया था।बाद में आरोपित ने उनसे जबरदस्ती करने की कोशिश की थी।युवती ने मदद की गुहार लगाई तो कमल बैरागी नाम के युवक ने उसकी मदद की थी। जांच पूरी होने कर पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया था। कोर्ट ने सुनवाई पूरी करके हुए 23 दिसंबर को आरोपित अनिल बोरकर को बरी कर दिया। इस घटना के बाद पीड़िता बुरी तरह से निराश हो गई है। उसका कहना है कि घटना के बाद इस मामले में पुलिस की कार्रवाई सुस्त थी। उसने सवाल भी उठाए थे। उसका कहना है कि वह हार नहीं मानेगी। इसको लेकर ऊपर अदालत में अपील करने करेगी। घटना के बाद एमबीए छात्रा कई माह तक बिस्तर पर रही थी, उनकी रीढ़ की हड्डी टूटी थी। विवेचना अधिकारी पर वह पहले ही दिन से सवाल उठा रही थी, लेकिन उनकी सुनी ही नहीं गई।
सवाल उठाने के बाद विशेष जांच दल की थी जांच
इस मामले में शुरूआत से कोलार पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे। वरिष्ठ अधिकारियों ने ने इस मामले में विशेष जांच दल बनाया था। घटना का नाट्य रूपातंरण दो से तीन बार किया गया था, लेकिन एक बार भी पीडिता को नहीं बुलाया गया था। इस दौरान उस समय के पुलिस मुखिया भी खुद मौजूद थे।
कोर्ट ने बचाव पक्ष की दलील सही मानी और कहा
कोर्ट ने इस मामले में बचाव पक्ष की दलील को सही माना कि आरोपित मौके पर मौजूद ही नहीं था। पुलिस की जांच से लगता है कि उसे बेवजह फंसाया गया है।
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