उमरिया। रेलवे ट्रैक पर वन्यप्राणियों की मौत देश की बड़ी समस्या है। इसको लेकर मप्र के उमरिया जिले में एक बार फिर सर्वे शुरू हुआ है। भारत सरकार के निर्देश पर वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन ट्रस्ट( डब्ल्यूएलसीटी) ने कैमरों के जरिये शोध शुरू कर दिया है। सामान्य वन मंडल के घुनघुटी परिक्षेत्र में सर्वे टीम सक्रिय है। बंधवाबारा से मुंदरिया के बीच लगभग पच्चीस किलोमीटर के रेल-ट्रैक पर वन्यजीवों की गतिविधि वाले क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है। इसकी फाइनल रिपोर्ट एक महीने के अंदर आने की उम्मीद है।
सर्वे की रिपोर्ट
रिपोर्टआने के बाद उसे रेलवे और वन मंत्रालय के साथ शासन को प्रेषित किया जाएगा और फिर उस पर मिलने वाले दिशा-निर्देशों पर काम किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस बार के सर्वे के कुछ सार्थक परिणाम सामने आएंगे। लगभग नौ साल पहले हुए एक सर्वे में सुझाव दिया गया था कि वन्य जीवों को बचाने के लिए रेल-ट्रैक के दोनों तरफ मजबूत बाड़ बने। इसके अलावा राजमार्गो की तर्ज पर रेल रूट पर भी वन्य प्राणियों के मूवमेंट वाले इलाकों में अंडर और ओवर ब्रिज बनवाए जाएं।
यह आई समस्या
पहले हुए सर्वे के दौरान रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ बाड़ के सुझाव दिए गए थे, जिस पर इसलिए अमल नहीं हो सका क्योंकि इससे शिकार का खतरा बढ़ने की आशंका होने लगी थी। बाड़ को उस सीमा की तौर पर शिकारी इस्तेमाल कर सकते थे, जिसके किनारे पहुंचने के बाद जानवरों के पास कोई रास्ता नहीं होता और यहां पर उनका शिकार करना आसान हो जाता।
अंडरपास और आटोमेटिक पास
उमरिया जिले के मुंदरिया रेलवे स्टेशन से बंधवाबारा रेलवे स्टेशनों तक चल रहे सर्वे के दौरान अंडरपास और आटोमेटिक पास पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि आटोमेटिक पास भी बहुत सफल होने की उम्मीद नहीं है। आटोमेटिक पास रेलवे ट्रैक की फेंसिंग के बाद उन स्थानों पर बनाया जा सकता है जहां से वन्य प्राणियों के आने-जाने का रास्ता हो, लेकिन यह जरूरी नहीं कि आटोमेटिक पास से गुजरने के बाद जानवर ट्रैक को मनुष्यों की तरह क्रास ही कर लेंगे। वे रेलवे ट्रैक पर दाएं अथवा बाएं भी चल सकते हैं जिससे इसका कोई फायदा नहीं होगा।
27 दिसंबर को तेंदुए की मौत ट्रेन की टक्कर से हो गई थी
इस क्षेत्र में सर्वे इस कारण शुरू किया गया है क्योंकि 27 दिसंबर को घुनघुटी वन परिक्षेत्र में एक तेंदुए की मौत ट्रेन की टक्कर लगने से हो गई थी। इसी इलाके मे वर्ष 2023 के दौरान करीब दो दर्जन से अधिक दुर्लभ जीव मालवाहक अथवा यात्री गाडिय़ों से कट कर अपनी जान गवां चुके हैं। इनमें बाघ, तेंदुओं के अलावा हिरण और चीतल आदि शामिल हैं।
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