घायल को छोड़कर भाग जाने पर वाहन चालकाें को 10 साल की सजा व सात लाख तक जुर्माना लगाने के प्रस्तावित नियम से बिफरे बस चालक।
- नए कानून के विरोध में यात्री बस।
- सिटी बस सहित आटो के पहिए थमे रहे।
- जबलपुर बस आपरेटर एसोसियेशन ने भी समर्थन किया है।
जबलपुर। नववर्ष के पहले दिन शहर की परिवहन सेवाएं पूरी तरह से ठप रही। यात्री बसों के साथ ही सिटी बसों सहित आटो के पहिए थमे रहे। अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए यात्री जहां परेशान होते रहे वहीं सिटी बस और आटो न चलने से स्कूल, कालेज, दफ्तर व अन्य कार्यों से आने-जाने वाले व नववर्ष पर पर्यटन स्थलों में सैर-सपाटे के लिए जाने वाले इधर-उधर भटकते व परेशान होते रहे।
सिटी मेट्रो बसों का संचालन कर रही जबलपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड के सीईओ सचिन विश्वकर्मा ने बताया कि मंगलवार से मेट्रो बसों का संचालन होने लगेगा। सोमवार को बस चालकों के साथ आपरेटरों ने बैठक की है ईधन की समस्या भी शार्ट आउट कर ली गई हैं। हमारा पूरा प्रयास है कि सभी बसें निकले। वहीं यात्री बसों के संचालन पर संशय की स्थिति बनी हुई है।
अचानक बस चालक-परिचालकों के हड़ताल पर चले जाने से दीनदयाल चौक स्थित अंतरराज्यीय बस टर्मिनल में बसें खड़ी रही। मंडला, डिंडौरी, कुंडम, कटनी, सागर, दमोह, बालाघाटा, छिंदवाड़ा, नागपुर, रायपुर जाने वाले यात्री लगेज लिए परेशान होते रहे। इसी तरह अस्थाई बस स्टैंड दमोहनाका, आघ शंकराचार्य चौराहा, एम्पायर टाकीज, भेड़ाघाट बाइपास में भी यात्री बसों के इंतजार करते परेशान होते रहे।जो आर्थिक रूप से सक्षम थे वे तो टैक्सी व अन्य वाहनों से अपनी मंजिल के लिए रवाना हुए जबकि बसों के भरोसे रहे वे बस स्टैंड व रैन बसेरा में ही रात गुजारने मजबूर रहे।
इधर सिटी मेट्रो बसें और अाटो के न चलने से स्कूल, कालेज, दफ्तर और घूमने-फिरने वाले भी परेशान होते रहे। कुछ इक्का-दुक्का आटो और ई-रिक्शा जरूर संचालित रहे। ई-रिक्शा चालकों ने भी बसें न चलने का फायदा उठाया और यात्रियों से मनमाना किराया वसूला। भेड़ाघाट, तिलवारा घाट, ग्वारीघाट सहित अन्य पर्यटन स्थलों तक की बुकिंग के एवज में पांच सौ से हजार रुपये तक वसूल लिए।
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