गुना। जिले के बजरंगगढ़ थानाक्षेत्र के दुहाई मंदिर के पास घूम घाटी में 27 दिसंबर की रात हुई बस दुर्घटना में मृत 11 लोगों के शवों की पहचान डीएनए टेस्ट से की जानी है। इसके लिए गुरुवार को फारेंसिक टीम ने सभी मृतकों के माता-पिता के ब्लड सैंपल लिए और उसे शुक्रवार को जांच के लिए सौंप दिए। अधिकारी कह रहे हैं कि मामले को प्राथमिकता पर रखा गया है, सात दिनों में डीएनए रिपोर्ट आ जाएगी।
उधर, प्रारंभिक जांच में बस में तेजी से आग फैलने की जो वजह सामने आई है, उसके मुताबिक आग टक्कर के बाद बस के टैंक का आयल जमीन पर गिरने और रगड़ से पैदा हुई चिंगारी से लगी। बस में किसी ज्वलनशील पदार्थ के होने की आशंका थी, लेकिन अब तक ऐसा कोई साक्ष्य सामने नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि सिकरवार ट्रेवल्स की बस बुधवार की रात करीब आठ बजे गुना से यात्रियों को लेकर आरोन के लिए रवाना हुई थी।
घूम घाटी चढ़ते समय सामने से आ रहे डंपर से उसकी आमने-सामने की भिडंत हो गई। भिड़ंत इतनी तेज थी कि बस पलट गई और उसमें आग लग गई। इस हादसे में 13 सवारियों की मौत हो गई, तो 16 यात्री घायल हो गए, जिनका जिला अस्पताल में इलाज जारी है।
हालांकि, दो शवों की शिनाख्त हो गई है, जिनमें एक डंपर चालक वीरेंद्र सिंह यादव थे तो दूसरे बस में सवार मनोहरलाल शर्मा थे। उनके शव स्वजनों को सौंप दिए गए हैं। लेकिन, बस में सवार 11 मृतकों के शव पूरी तरह जलने से शिनाख्त नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में उनका डीएनए टेस्ट कराया जा रहा है। इसके लिए गुरुवार को ग्वालियर से गुना पहुंची फारेंसिक टीम ने मृतकों के माता-पिता का ब्लड सैंपल लिया है।
बस-डंपर सड़क से नीचे न उतरने से भिड़ंत की संभावनाफारेंसिक टीम के अधिकारी अभिषेक भार्गव ने बताया कि बस चढ़ाई चढ़ रही थी, जिससे इंजन भी गर्म हो जाता है। इसके अलावा जिस स्थान पर डंपर और बस में टक्कर हुई है, वहां सड़क की चौड़ाई महज 18 फीट है। ऐसा अनुमान है कि दोनों चालकों ने अपने अपने वाहन को बचाने के ख्याल से सड़क से नीचे न उतारा हो और इसी से दोनों में जोरदार भिड़ंत हो गई।
टैंक का आयल जमीन पर आने से लगी आगफारेसिंक टीम के अधिकारियों ने बताया कि जब दो गाड़ियां टकराती हैं तो चिंगारी उठती है। इस हादसे में बस पलट गई और उसके टैंक का आयल जमीन पर आने से आग लगी। बस की सीटों में स्पंज, कामर्शियल मटेरियल और प्लाई होते हैं, जिसमें आग पकड़ी और विकराल रूप लिया। बस पलटने से मुख्य गेट भी जमीन पर आ गया था, जिससे बाहर जाने का रास्ता बंद हो गया था। आशंका यह भी है कि कार्बन मोनोआक्साइड का धुआं बाहर की हवा न मिलने से बस में भरा और ऐसे में कई सवारियों ने श्वांस रुकने से दम तोड़ा।
घटनास्थल पर मिली घड़ी, कांटे 8.37 पर बंद
फारेंसिक टीम को घटनास्थल पर एक बंद घड़ी मिली है। इसके कांटे 8.37 बजे बंद हो चुके थे। इससे अंदेशा जताया गया है कि हादसा इसी के आसपास हुआ होगा। उक्त घड़ी बजरंगगढ़ थाना पुलिस की सुपुर्दगी में दे दी गई है।
बस थी कंडम, पंजीयन होना था निरस्त
सिकरवार ट्रेवल्स की जो बस हादसे वाले दिन सवारियों को भरकर आरोन जा रही थी, वह कंडम हो चुकी थी। इसके लिए ट्रेवल्स संचालक भानु सिकरवार की ओर से पिछले महीने रजिस्ट्रेशन निरस्त कराने का आवेदन आरटीओ कार्यालय में दिया गया था, लेकिन टैक्स बकाया होने से पंजीयन रद नहीं हो सका। इस बस को स्टैंड पर खड़ा कर रखा गया था। 27 दिसंबर की रात आरोन रूट पर चलने वाली बस को किसी कारणवश भेजा नहीं जा सका तो इसी कंडम बस को रवाना कर दिया गया।
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