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मध्य प्रदेश में दुर्घटनाओं के लिए सबसे खतरनाक जिला इंदौर, इसके बाद जबलपुर और भोपाल

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भोपाल। सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से इस वर्ष के शुरुआती छह माह पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में ज्यादा खतरनाक साबित हुए। पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान (पीटीआरआइ) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष जनवरी-जून 2022 की तुलना में इसी अवधि में वर्ष 2023 में 490 सड़क दुर्घटनाएं अधिक हुईं।

इस तरह लगभग पौने दो प्रतिशत अधिक मामले सामने आए, पर जान गंवाने वाले साढ़े चार प्रतिशत अधिक थे। दतिया, आगर, सतना, भोपाल ग्रामीण और छतरपुर में सड़क दुर्घटनाएं 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ीं।

सतना में मृतकों की संख्या 41 प्रतिशत, आगर में आगर में 53, छतरपुर में 32, जबलपुर में 29 प्रतिशत अधिक हो गई। सरकार दुर्घटनाएं रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात करती रही, लेकिन घटनाएं कम होने की जगह यह बढ़ गईं।

कम होने की जगह बढ़ गए ब्लैक स्पाट

मध्य प्रदेश में वर्ष 2021 में दुर्घटना संभावित क्षेत्र (ब्लैक स्पाट) की संख्या 395 थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद इन्हें कम करने के लिए कई बैठकों में निर्देश दिए। संभावित एजेंसियों से समन्वय बनाकर काम करने के लिए कहा। इसके बाद भी स्थित यह रही की वर्ष 2022 में हुई दुर्घटनाओं के अनुसार ब्लैक स्पाट की संख्या बढ़कर 437 हो गई।

इन कारणों से भी कम नहीं हो रही सड़क दुर्घटनाएं

– सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं तेज गति से वाहन चलाने के कारण होती हैं, पर पुलिस का ज्यादा ध्यान बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट पर कार्रवाई पर रहता है।

– कई बार नियम तोड़ने के बाद भी वाहन चालक का न तो लाइसेंस समाप्त किया जाता है और न ही अन्य कोई सख्त कार्रवाई की जाती।

– ग्रामीण क्षेत्रों में तेज गति से वाहन चलाने के कारण सड़क दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही हैं, पर यहां पुलिस का ध्यान नहीं है।

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