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धर्मधानी का बेटा अब राजधानी से संभालेगा प्रदेश की कमान, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा सहित कई नेताओं के विश्वास पात्र

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उज्जैन। उज्जैन मध्य प्रदेश की धर्मधानी उज्जैन का राजधानी भोपाल में प्रतिनिधित्व करने वाले डा. मोहन यादव के नाम की मुख्यमंत्री के रूप में घोषणा होते ही कई राजनीतिक पंडित चौंके। मगर डा. यादव को जानने वालों के लिए यह कोई आश्चर्य का विषय नहीं था। दरअसल आत्मविश्वास से लबरेज डा. यादव को पहले से पता था कि उन्हें पार्टी की ओर से कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलने वाली है। यह संकेत उन्होंने हाल में हुए चुनाव के दौरान ‘नईदुनिया’ से अनौपचारिक चर्चा में दे दिए थे।

बीजेपी अध्यक्ष के रेस में आगे थे डा. यादव

डा. यादव मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के दावेदारों में भी एक थे। हालांकि राजनीतिक पटल पर उनका नाम सीधे तौर पर सामने नहीं था। बस यही कारण रहा कि कई लोग उनके नाम पर चौंक गए। वर्ष 2013 में पहली बार विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद डा. यादव ने पीछे पलटकर नहीं देखा। 2018 में भी बड़े अंतर से जीत हासिल करने के बाद डा. यादव एक बार फिर पार्टी में चर्चित हुए।

शिवराज सरकार में रहे कैबिनेट मंत्री

उनके राजनीतिक जीवन की नई शुरुआत इसी चुनाव के बाद हुई। दरअसल कमल नाथ सरकार गिरने के बाद पार्टी की रणनीति में डा. मोहन यादव की भूमिका बहुत अहम हो गई थी। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनसे सीधे संपर्क में रहने लगे। उनकी रणनीति और तेवर के कारण ही भाजपा सरकार बनने के बाद उन्हें सीधे कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। इसके बाद लोकसभा हो या नगर निगम सहित कोई भी चुनाव डा. यादव जिले में पार्टी का नेतृत्व करते और जीत दिलाते। उज्जैन महापौर चुनाव में यादव ने ही पार्टी को हार से बचा लिया था।

बीजेपी के कई बड़े नेताओं के विश्वास पात्र

इस चुनाव में उज्जैन उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी को लीड मिली थी, मगर डा. यादव के क्षेत्र दक्षिण से भाजपा प्रत्याशी को बहुमत मिला और चुनाव में जीत। इस जीत ने भी एक बार फिर डा. यादव का कद बड़ा कर दिया। नड्डा, शाह, प्रधान सहित कई आला नेताओं के करीबी डा. यादव भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान सहित कई बड़े नेताओं के करीबी और विश्वास पात्र हैं। इसके अलावा मालवा के बड़े भाजपा नेताओं में भी डा. यादव लोकप्रिय हैं। उनकी काबिलियत पर किसी भी नेता को शक नहीं होता। इसका उदाहरण है कि चुनाव से पहले टिकट को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे।

इस बीच उज्जैन आए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं के बीच यहां तक कह दिया था- मोहन जी का टिकट पक्का है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डा. यादव पार्टी में अपनी पकड़ किस तरह जमा चुके थे। मंत्री बनने की चर्चा चल रही थी मगर स्क्रिप्ट कुछ और थी इस चुनाव में जीतने के बाद डा. मोहन यादव के एक बार फिर कैबिनेट मंत्री बनने की चर्चा चल रही थी। उनके समर्थकों ने इसकी तैयारी की थी, मगर डा. यादव को नई स्क्रिप्ट की जानकारी थी। मतगणना के दो दिन बाद वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से दिल्ली जाकर मिले थे। उन्हें बुलाया गया था। ओबीसी चेहरा, उच्च शिक्षित होना, संगठन में पूरी तरह घुलना-मिलना और लोकप्रियता डा. यादव को मुख्यमंत्री पद के लिए फिट बनाती थी और आखिरकार यही हुआ।

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