सभी समाजों में त्याग के महत्व का वर्णन है। स्वामी रामतीर्थ ने कहा है कि त्याग के समान दूसरी शक्ति नहीं है। महात्मा गांधी ने भी त्याग की शक्ति को परिभाषित किया है। यह अलग बात है कि ‘त्याग’ करना आसान नहीं होता। प्रदेश में जब टिकट वितरण के बाद विरोध और प्रदर्शनों की बाढ़ थी, तब शिक्षाविद स्वप्निल कोठारी ने टिकट न मिलने के फैसले को खुले दिल से स्वीकार किया था। उनके त्याग का सकारात्मक प्रतिफल भी उन्हें जल्द मिल गया। इंदौर में जनसभा करने पहुंची प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस विषय में कोठारी से चर्चा की। प्रियंका में कांग्रेस भविष्य देख रही है। ऐसे में राष्ट्रीय नेता के संज्ञान में समर्पण भाव की जानकारी होना, राजनीतिक भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत हैं। इसी विधानसभा से अपने समर्थक एक बागी को कदम पीछे खींचने के लिए मनाने में सहयोग कर कुछ अंक और बढ़वा लिए।
‘राजा’ के सामने ही फूटे नाराजी के स्वर
समाज के मंच पर राजनीति को जगह नहीं
चुनाव के समय समाजों के सम्मेलन नई बात नहीं है। मतदाताओं को लुभाने के लिए समाजों का सम्मेलन आसान विकल्प होता है। लेकिन शहर में हुए ब्राह्मण समाज के ऐसे ही एक आयोजन की चर्चा इन दिनों इंटरनेट मीडिया के साथ चुनावी चौपालों पर भी है। दरअसल ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वयोवृद्ध नेता ने मंच संभालते ही दूसरी पार्टी के दिग्गज उम्मीदवार के बारे में राजनीतिक आरोपों की झड़ी लगा दी। उम्मीद थी, समाज के लोग तालियां बजाएंगे, लेकिन उनके बाद मंच संभालने आए सर्वब्राह्मण समाज युवा परिषद के प्रमुख विकास अवस्थी ने आईना दिखाते हुए कहा कि यह समाज का सम्मेलन है, किसी पार्टी का नहीं। किसी के विरोध में बातें करने का यह मंच नहीं है। यहां समाज के प्रत्याशी की बात होगी, दल विशेष की नहीं। कुछ इसी तरह की बातें ब्राह्मण समाज के मंच से शहर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष विशाल अग्निहोत्री भी करते दिखे।
भाजपा का मास्टर स्ट्रोक
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