ग्वालियर। बड़े अस्पताल अब अपनी बेड संख्या कम कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग में आवेदन कर रहे है। इससे पहले शहर के 17 अस्पताल अबतक बेड संख्या कम करा चुके हैं। जबकि कुछ अस्पतालों ने तो पंजीयन ही रद्द करा लिया है। अब उन अस्पतालों के आवेदन पहुंच रहे है जो केवल कागजों में चल रहे हैं।बेड संख्या कम कराने या अस्पताल बंद कराने के पीछे मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्ती बताई जा रही है। जिससे घवराकर सीएमएचओ आफिस में बेड संख्या कम कराने आवेदन कर रहे हैं।
असल में जितने बेड संख्या दर्ज हैं उतने पर अस्पताल संचालकों को मेडिकल वेस्ट के निष्पादन को लेकर 10 रुपये प्रति बेड प्रति दिन के हिसाब से इंसीनरेटर के लिए देने होते हैं। जो अबतक यह अस्पताल नहीं दे रहे थे। जिसको लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। इस डर से अब अस्पताल अपने बेड संख्या कम करा रहे हैं या फिर पंजीयन ही रद्द करा रहे हैं।
एक सैकड़ा से अधिक अस्पतालों ने सौ से लेकर डेढ़ सौ बेड की ली है अनुमति
शहर में करीब एक सैकड़ा अस्पताल ऐसे हैं जिन्होंने 100 से लेकर डेढ़ सौ बेड की अनुमति ले रखी है पर हकीकत में उनके पास न बेड है,न डाक्टर हैं और न मरीज। जो न्यायालय का निर्णय विपरीत आते ही अपना पंजीयन रद्द कराने या फिर बेड संख्या कम कराने के लिए आवेदन करेंगे।गौरतलब है कि प्रदेश भर में संचालित नर्सिंग कालेजों में होने वाली गड़बड़ी को लेकर सीबीआई जांच कर रही है। जिसके चलते सत्र 2023-24 में प्रवेश देने की पोर्टल खोलने की अनुमति नर्सिंग काउंसिल नहीं दे रहा है।जिसको लेकर प्रदेश सरकार पर नर्सिंग कालेज संचालक दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं कि पोर्टल खोला जाए। जिसको लेकर प्रदेश सरकार इस मसले को सुलझाने के लिए न्यायालय की शरण में पहुंची है। पहले 6 नवंबर को सुनवाई होनी थी जिसे एक दिन के लिए टालकर 7 नवंबर को की जाएगी।
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