ग्वालियर। दीपावली से आठ दिन पहले ही शहरों में हवा सांस लेने लायक नहीं बची है। पूरे प्रदेश में सबसे बुरे हालात ग्वालियर के ही हैं। शहर में उठता धुआं, धूल और स्माग अब हवा को जहरीला बना रहा है। पूरे शहर की हवा दूषित है, लेकिन सबसे ज्यादा खराब हालत दी
नदयाल नगर और महाराज बाड़ा का है। यहां वायु प्रदूषण मापने वाला एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) खतरे के निशान के पार पहुंच रहा है। हवा का दूषित होना सभी के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन इससे दमा और हृदय संबंधित बीमारियों वाले मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।शुक्रवार को ग्वालियर में दिन में एक बार हवा में प्रदूषण का स्तर 335 के पार पहुंच गया। जो प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों की तुलना में सबसे ज्यादा है। प्रदेश की राजधानी में भोपाल में भी एक्यूआई 211 रहा जो ग्वालियर की तुलना में कम है। चिंता की बात यह है कि दीपावली से पूर्व एक्यूआइ की ऐसी हालत से कहीं त्योहार की आतिशबाजी पर असर न पड़े। बता दें कि हाल ही में एनजीटी ने प्रदेश के इंदौर सहित अन्य जिलों के कलेक्टरों को आदेश देते हुए कहा है कि जिन शहरों में वायु प्रदूषित है, वहां लड़ी , बेरियम नमक मिले पटाखे फोड़ना प्रतिबंधित रखा जाए। प्रदेश के स्तर पर देखा जाए तो इस आदेश का सबसे
अधिक असर ग्वालियर पर होगा।बाजार में ग्रीन के नाम पर मिक्स पटाखे
शासन के आदेश हैं कि शहर में सिर्फ ग्रीन पटाखे चलाए जाएंगे, लेकिन बाजारों में स्थिति थोड़ी उलट है, ऐसा नहीं है कि ग्रीन पटाखे रखे या बेचे नहीं जा रहे हैं, लेकिन बाजार में सामान्य पटाखों की बिक्री पर भी कोई रोक नहीं है। दुकानों पर मिक्स कर के यह पटाखे बेचे जा रहे हैं, कई पटाखे ऐसे भी हैं जिनपर ग्रीन पटाखे का फर्जी टैग लगाकर उन्हें लोगों को बेचा जा रहा है।
घातक है बेरियम नाइट्रेट
बेरियम नाइट्रेट एक सफेद, गंधहीन, क्रिस्टलीय (रेत जैसा) पाउडर होता है। इसका उपयोग पटाखे बनाने, हरी रोशनी और नियॉन रोशनी और सिरेमिक ग्लेज में किया जाता है। नुकसान की बात करें तो बहुत अधिक मात्रा में नाइट्रेट हानिकारक हो सकता है, खासतौर पर शिशुओं के लिए। बहुत अधिक मात्रा में नाइट्रेट शरीर में पहुंचकर रक्त में आक्सीजन ले जाने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और मेथेमोग्लोबिनेमिया (जिसे ब्लू बेबी सिंड्रोम भी कहा जाता है) का कारण बन सकता है।
एनजीटी ने दिए हैं निर्देश
ज्यादा धुआं और पटाखों की रोकथाम के लिए एक मामले की सुनवाई करते हुए एनजीटी ने आदेश दिए कि जहां प्रदूषण ज्यादा है, वहां आतिशबाजी पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यहां सिर्फ दो घंटे के लिए ग्रीन पटाखे चलाए जाएंगे, जिसके लिए भी जिले के कलेक्टर से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। एनजीटी ने कलेक्टरों के अलावा शासन को निर्देशित किया है कि ज्यादा धुआं और प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों की बिक्री को रोका जाए।
प्रदेश में अन्य शहरों में शुक्रवार को एक्यूआइ
भोपाल 211
इंदौर 180
सागर 139
सिंगरौली 95
जबलपुर 94
दमोह 43
बीते सप्ताह में यह रहा प्रदूषण का स्तर
- 28 अक्टूबर 260
- 29 अक्टूबर 275
- 30 अक्टूबर 264
- 31 अक्टूबर 236
- 1 नवंबर 276
- 2 नवंबर 274
- 3 नवंबर 300
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