ग्वालियर। मौसम में आई ठंडक से त्वचा संबंधी रोग बढ़ने लगे हैं। ठंड के समय सबसे अधिक सोरायसिस की समस्या बढ़ती है। जिसका असर अभी से ही देखा जाने लगा है। जयारोग्य अस्पताल के त्वचारोग विभाग की ओपीडी में सोरायसिस के मरीज पहुंचने लगे हैं। असल में सर्द मौसम में त्वचा रूखी हो जाती है और खुजली की समस्या बढ़ जाती है जिससे त्वचा खुरदरी हो जाती है। त्वचा पपटी जमने की शिकायत लोगों में देखने को मिलती है। असल में इस परेशानी को ही सोरायसिस कहा गया है। यह बीमारी एक दूसरे के संपर्क में आने से नहीं फैलती।जेएएच के त्वचा रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा अनुभव गर्ग बताते हैं कि असल में यह बीमारी उन्हीं लोगों में होती है जिनके जीन में परिवर्तन हुआ होता है। इसलिए इसका उपचार जागरूकता के साथ सतर्कता और सावधानी ही है। इसलिए 29 अक्टूबर को प्रतिवर्ष सोरायसिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। जिससे लोगों में जागरूकता बढ़े और लोग समय पर उपचार कराकर इस बीमारी से बचें।
त्वचा पर जमती मोटी परत
त्वचारोग विशेषज्ञ डा दीपक शर्मा बताते हैं कि सर्दियों में सोरायसिस की समस्या कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। इसमें त्वचा पर एक मोटी परत जमने लगती है जो लाल या भूरे रंग की होती है और खुरदरी होती है। इसकी वजह से हर वक्त खुजली होती रहती है। हाथ-पैर, तलवों, कोहनी, घुटनों पर इसका असर सबसे पहले और ज्यादा देखने को मिलता है। यदि सोरायसिस की बीमारी का समय पर उपचार शुरू किया जाए तो मरीज को ठीक किया जा सकता है। समय पर उपचार न मिलने पर यह बीमारी बढ़ जाती है।
जोड़ों के दर्द देती यह बीमारी
सोरायसिस की बीमारी का यदि समय पर उपचार न लिया जाए तो यह बीमारी जोड़ों के दर्द की समस्या पैदा कर देती है।असल में सिरोसिस प्रतिरक्षा प्रणाली में समस्या उत्पन्न होने पर यह बीमारी पैदा हो जाती है। जिसके चलते शरीर की त्वचा पर असर नजर आता है। इस रोग में त्वचा पर कोशिकाएं तेजी से जमा होने लगती हैं। सफेद रक्त कोशिकाओं के कम होने के कारण त्वचा की परत सामान्य से अधिक तेजी से बनने लगती है, जिसमें घाव बन जाता है, यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
सोरायसिस की बीमारी कई प्रकार की होती है
डा गर्ग बताते हैं कि सोरायसिस की बीमारी कई प्रकार की होती है। प्लाक सोरायसिस में त्वचा पर लाल दाने उभरे हुए पैच होते है। गुट्टाते सोरायसिस होने पर त्वचा पर छोटे लाल धब्बे का कारण बनता है, यह समस्या ज्यादातर किसी भी प्रकार के रोग के उपरांत होती है। इन्वर्स सिरोसिस में सिकुड़ी हुई त्वचा में खुजली की समस्या होती है और लाल रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। पुस्टुलर सिरोसिस में हथेलियों और तलवों पर मवाद भर जाता है, खुजली व दर्द होता है। जिससे बुखार, चक्कर आना, भूख कम लगना आदि की शिकायत होती है। एरिथ्रोडर्मिक सिरोसिस में लाल चमकदार त्वचा हो जाती है। जिससे खुजली,दर्द और बीपी की शिकायत होती है।
सोरायसिस से बचाव के यह करें उपाय
-त्वचा को ड्राय होने से रोकें ।
-तेज सुगंध से बचें ।
-प्रतिदिन स्नान करें ।
-शराब के सेवन से बचें ।
-हल्दी का उपयोग करें ।
-पौष्टिक अहार लें ।
-तनाव न लें।
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