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कबाड़ की चीजों से दिया पुस्तकालय का रूप, गरीब बच्चों को मिल रही पढ़ाई की सुविधा

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भोपाल। आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों ने अनोखा बाल पुस्तकालय बनाया है। अरेरा हिल्स स्थित दुर्गा नगर बस्ती में चलने वाले बाल पुस्तकालय ‘किताबी मस्ती’ का नया भवन बन चुका है। खास बात यह है कि यह भवन बेकार पड़े सामान से बनाया गया है, लेकिन इसे देखकर बिल्कुल भी इस बात का अनुमान नहीं लगाया जा सकता। नेशनल एसोसिएशन आफ स्टूडेंट्स आफ आर्किटेक्चर (नासा) इंडिया की प्रतियोगिता के तहत विद्यार्थियों ने इस प्रोजेक्ट को चुना और इसे नया आकार दिया है। किताबी मस्ती एक लाइब्रेरी और एक्टिविटी सेंटर है। इसे शुरू हुए सात साल हो चुके हैं। बस्ती की एक होनहार किशोरी मुस्कान अहिरवार इसे संचालित करती है, जो खुद अभी 11वीं कक्षा में पढ़ती है।

नवरात्र के समय 10-11 दिन पुस्तकालय रहता है बंद

मुस्कान ने बताया कि उसे बचपन से पढ़ाई का शौक था। एक बार राज्य शिक्षा केंद्र से कुछ लोग आए थे और उन्होंने मेरी पढ़ाई में रुचि देख मुझे कुछ पुस्तकें भेंट की। मैंने सोचा कि मेरी तरह दूसरे बच्चों को भी पढ़ने का मौका मिले, इसलिए मैं उन किताबों को बाहर रस्सी पर टांग देती। कई बच्चे किताबों को देखकर आते। जिन्हें पढ़ना नहीं आता था, वो भी चित्र देखने आते थे, तो मैंने पूजा पंडाल के इस शेड में ही छोटी-सी लाइब्रेरी बना ली। नवरात्र के समय 10-11 दिन पुस्तकालय बंद रहता है और यहां देवी विराजमान होती है। अन्य दिन यहां मैं किताबें रखती हूं।

लगभग 3000 किताबों का संग्रह

मुस्कान ने कहा कि जब आर्किटेक्चर के इन विद्यार्थियों ने अपना प्रोजेक्ट बताया तो मैं काफी खुश हुई। अब तो पुस्तकालय की हालत बदल चुकी है। बच्चे यहां पढ़ने को बेताब रहते हैं। अभी यहां लगभग 3000 किताबें हैं, जो लोगों ने दान की हैं। पुस्तकालय से दुर्गा नगर बस्ती व आसपास के करीब 30 बच्चे जुड़े हैं। शाम पांच से सात बजे तक पुस्तकालय खुला रहता है। यहां बच्चे पढ़ते हैं, खेलते हैं और रचनात्मक गतिविधियां करते हैं। मेरे साथ 2016 से ही पंकज ठाकुर भी जु़ड़े हैं, जो बच्चों को पढ़ाते हैं।

60 विद्यार्थियों के समूह ने महीनेभर में किया तैयार

प्रोजेक्ट कोआर्डिनेटर प्रियदर्शिता तिवारी ने बताया कि 60 विद्यार्थियों के समूह ने एक महीने में इसे तैयार किया है। सारी चीजें कबाड़ वाले से ली हैं या फिर पुराने भोपाल में जाकर तलाशी हैं। इसकी दीवारें पुराने बेकार पड़े दरवाजों से बनी हैं। दरवाजों के गैप को पुट्टी से भरा गया है और फिर पुताई की गई है। बाहरी डिजाइन नायलान प्लास्टिक शीट से ओरिगामी के जरिए बनाई गई है। टीन के डिब्बों को दीवारों में ऐसे फिट किया गया है कि भीतर वो शेल्फ जैसे इस्तेमाल होते हैं और बाहर उन पर गमले रखे गए हैं। इसके अलावा ऊपरी हिस्से में पहले बैंबू की फ्रेमिंग की गई हैं और उसके ऊपर टेराकोटा टाइल्स लगाई हैं जो घरों से कचरे की तरह फेंक दी गई थीं। पहले उन्हें पेंट किया फिर रीयूज किया है।

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