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BJP की पहली लिस्ट में आलाकमान तो दूसरी में वसुंधरा राजे का दिखा दमखम, कांग्रेस में काम नहीं आया सर्वे

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जयपुर।  राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने प्रत्याशियों की दो-दो सूची जारी की है। कुल दो सौ सीटों में से भाजपा अब तक 124 प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुकी है। वहीं, कांग्रेस ने 76 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की है।

आलाकमान की मर्जी से बनी पहली सूची

भाजपा की पहली सूची पूरी तरह से पार्टी आलाकमान की मर्जी से बनी, जिसमें 41 में से 13 प्रत्याशियों का विरोध पिछले 16 दिन से जारी है। वहीं, दूसरी सूची में पहली सूची जारी होने के बाद उठे विरोध के स्वर को शांत करने की कोशिश की गई। प्रदेश के सभी बड़े नेताओं को टिकट और महत्व देकर विरोध के स्वर थामने का प्रयास हुआ।

दूसरी सूची में वसुंधरा राजे को साधने की कोशिश

दूसरी सूची में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को साधने का पूरा प्रयास किया गया है। उनके समर्थकों को महत्व देकर संदेश देने की कोशिश की गई कि वसुंधरा अभी सीएम पद की दौड़ से बाहर नहीं हुई है। ऐसा करने से सबसे मजबूत वसुंधरा खेमा पार्टी को जीत दिलवाने में जुटा रहेगा।

दूसरी सूची में सांसदों को नहीं दिया गया टिकट

पहली सूची में सात सांसदों को टिकट देने से पार्टी नेताओं में नाराजगी बढ़ी तो दूसरी सूची में एक भी सांसद को टिकट नहीं दिया गया। भाजपा ने पहली सूची में सर्वे के आधार पर नाम तय किए थे, जिससे होने वाले संभावित नुकसान को भांप कर भाजपा आलाकमान ने दूसरी सूची पूरी तरह से प्रदेश के नेताओं की सलाह से तैयार की।

आलाकमान की ओर से करवाए गए सर्वे में जिन 17 विधायकों की स्थिति खराब बताई गई थी, उन्हें पार्टी ने फिर से मैदान में उतारा है। कांग्रेस के प्रत्याशी तय करने में आलाकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट भी काम नहीं आई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मिलकर अपने-अपने समर्थकों को टिकट बांट दिए।

कांग्रेस की सूची में न गाइडलाइन काम आया, न ही सर्वे

उधर, कांग्रेस की दोनों सूचियों को देखकर लगता है कि आलाकमान द्वारा एक साल पहले तय की गई गाइडलाइन कोई काम नहीं आई। सर्वे भी कोई काम नहीं आया। पार्टी गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए लगातार दो चुनाव हारने वाले दो उम्मीदवारों को टिकट दिया गया। साथ ही 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों की हार का कारण बने पांच निर्दलीय विधायकों को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे दो मंत्रियों को टिकट दिया गया।

भाजपा में अब तक जारी है विरोध

भाजपा की पहली सूची में तिजारा, बानसूर, सांचौर, झोटवाड़ा, बस्सी, देवली-उनियारा, किशनगढ़, नगर, कोटपुटली, केकडी, अलवर शहर के प्रत्याशियों का विरोध पिछले 15 दिन से जारी है। दो दिन पहले जारी की गई सूची में चित्तौड़गढ़, सुरसागर, राजसमंद, ब्यावर एवं सांगानेर सीट से घोषित प्रत्याशियों का पार्टी कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।

भाजपा की दोनों सूचियां देखकर कहा जा सकता है कि साल 2003 से 2018 तक के विधानसभा चुनाव में जिस तरह से वसुंधरा ने अपनी पसंद के नेताओं को टिकट दिए थे। वैसी तो उनकी नहीं चली, लेकिन फिर भी उनका प्रभाव अन्य नेताओं से अधिक नजर आ रहा है। प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र राठौड़ अपनी मौजूदा सीट चूरू बदलकर तारानगर से टिकट लेने में सफल रहे।

कांग्रेस की यह थी गाइडलाइन

कांग्रेस ने उदयपुर चिंतन शिविर सहित विभिन्न बैठकों में गाइडलाइन तय की थी । इसके तहत लगातार दो चुनाव हारने वालों को टिकट नहीं देंगे, लेकिन दो टिकट दिए गए। पार्टी ने तय किया था कि पिछले चुनाव में पार्टी की हार का कारण बने बागियों को टिकट नहीं देंगे, लेकिन गहलोत के दबाव में पांच निर्दलीय विधायकों को टिकट दिया गया। अब तक 13 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए गए, जबकि 33 प्रतिशत देने का वादा किया गया था।

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