इंदौर। आप यदि तंत्र-मंत्र में सिद्धि देने वाली मां काली के नौ फीट ऊंचे विराट स्वरूप के दर्शन करना चाहते हैं तो काली माता मंदिर खजराना में यह अवसर आपको प्राप्त होता है। इंदौर के पूर्वी क्षेत्र में देश-विदेश में ख्याति प्राप्त खजराना गणेश मंदिर के समीप स्थित यह मंदिर शक्ति के साधकों के बीच आस्था का केंद्र है। शारदीय और चैत्र नवरात्र के साथ दोनों गुप्त नवरात्र में भी विशेष अनुष्ठान होते हैं। नवरात्र में माता का प्रतिदिन 101 लीटर दूध से अभिषेक किया जा रहा है। इस दूध से प्रतीकात्मक अभिषेक के बाद दूध को क्षेत्र के गरीब बच्चों में मां के प्रसाद के रूप में वितरित किया जा रहा है।
इतिहास – मंदिर में ही तैयार की गई थी मूर्ति
काली मंदिर की स्थापना 48 साल पहले 1976 में हुई थी। उस समय मंदिर के संस्थापक श्याम अग्रवाल (बापूजी) ने अपनी चार फैक्ट्री में से तीन को बेचकर देवी मंदिर में छोटी मूर्ति की स्थापना की। इसके बाद मंदिर से जुड़े भक्त हरिकिशन पाटीदार ने मंदिर के पास की भूमि दान दी। 1984 में भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। यह कार्य 1991 में पूरा हुआ और विधि-विधान से नौ फीट ऊंची मां काली की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गई। इस मूर्ति के लिए जयपुर से 80 किलोमीटर दूर छितोली गांव से संगमरमर बुलाया गया था। मूर्ति मंदिर में ही तैयार की गई थ
लगती है भक्तों की कतार
काली माता मंदिर के बाद इस मंदिर में 1989 में पारदेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की गई। यह मनोकामना पूर्ति के लिए यज्ञ-हवन और अनुष्ठान भक्तों द्वारा कराया जाता है। इसके साथ ही विशेष अवसर पर माता का शृंगार होता है। नवरात्र में यहां पर की गई आकर्षक साज-सज्जा भी आकर्षण का केंद्र बन थी। इस दौरान दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार लगी रहती है। यह मंदिर रेलवे स्टेशन से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर है।
विद्वानों ने की माता की प्रतिष्ठा
देशभर के प्रमुख विद्वानों और माता भक्तों की मौजूदगी में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। माता की इतनी ऊंची मूर्ति देश के कुछ ही मंदिरों में है। उन मंदिर में काली मंदिर खजराना एक है। यहां सभी नवरात्र के दौरान हवन-अनुष्ठान भक्तों द्वारा किए जाते हैं। इसमें सैकड़ों लोग भागीदारी करते हैं। – गुलशन अग्रवाल, पुजारी
मां की भक्ति से होती है हर मुराद पूरी
मां की भक्ति से भक्त की हर मुराद पूरी होती है। जीवन से भय समाप्त होकर आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। यहां कई वर्षों से माता दर्शन-पूजन के लिए नियमित आ रहा हूं। उनकी शरण में आकर जीवन की दुविधाएं समाप्त हुईं। वे मां जगदंबा का महामाया स्वरूप हैं। – राहुल पिपलोदिया, भक्त
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