रायपुर। हिंदू संवत्सर के आश्विन मास प्रारंभ होने के पश्चात पिछले 15 दिनों से पूर्वजों, पितृ देवों के निमित्त प्रत्येक घर में अर्पण, तर्पण, ब्राह्मण भोजन का आयोजन किया जा रहा है। अंतिम दिन 14 अक्टूबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या तिथि पर पितृदेवों को आदराजंलि देते हुए विदाई दी जाएगी। शहर में अनेक जगहों पर सामूहिक अर्पण-तर्पण का आयोजन किया गया है। पितरों को विदाई देने के साथ ही अगले दिन मां अंबे के स्वागत में घर-घर में घट स्थापना और देवी मंदिरों में मनोकामना जोत प्रज्वलित की जाएगी।
संस्कृत भारती छत्तीसगढ़ के प्रवक्ता पं.चंद्रभूषण शुक्ला के अनुसार पितृ मोक्ष अमावस्या तिथि पितरों के लिए खास होती है। पिछले 15 दिनों में जो लोग अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध नहीं कर पाएं हैं तो वे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर शनिवार को सभी पितरों के निमित्त अर्पण-तर्पण कर सकते हैं। इसे छत्तीसगढ़ में पितरखेदा कहा जाता है। इस दिन पितर देवताओं का प्रस्थान और अगले दिन मां जगदंबा का आगमन होता है।
ऐसे करें तर्पण
– अमावस्या तिथि पर स्नान करके पितरों को याद करते हुए आमंत्रित करें। ब्राह्मणों को सात्विक भोजन कराएं।
– गायत्री मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए।
– लोटे में तिल डालकर दक्षिण मुखी होकर पितरों को जल अर्पित करना चाहिए।
– भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिये भोजन का अंश निकालकर खिलाएं।
– ब्राह्मण को भोजन करवाकर दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें।
– पितरों से परिवार की मंगल कामना करें। संध्या के समय द्वार पर दीप प्रज्वलित करें।
कुतुप मुहूर्त – सुबह 11.45 से 12.31
रौहिण मुहूर्त – 12.31 से 13.17
अपराह्न काल– 13.17 से 15.3
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