सोमवार को निर्वाचन आयोग द्वारा सभी 5 राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनाव की तारीखों का ऐलान का दिया गया है, इसमें राजस्थान के पहले चरण के चुनाव 25 नवंबर को होंगे जिसकी मत मतगणना 3 दिसंबर को होगी । चुनाव के तारीखों का ऐलान होते ही पूरे प्रदेश में आचार संहिता लागू कर दी गई है। यदि हम राजस्थान के पिछले 3 दशकों के चुनाव इतिहास देखें तो यह स्पष्ट नजर आता है कि हर बार विधानसभा चुनाव में सरकार बदलती रही है, एसे में क्या इस बार राजस्थान में बीजेपी अपनी सरकार बनाने में सफल हो पायेगी, इस पूरे मुद्दे पर एक नजर चुनावी संकेतों और समीकरणों पर डालते हैं…..
1993 में राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने के बाद, राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद एक नई प्रथा का आरंभ होगा था जिसमें विधानसभा चुनाव में एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा को सत्ता में आने का मौका मिला था। इसी परंपरा को मद्दे नजर रखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं की इस बार राजस्थान में बीजेपी की सरकार बन सकती हैं। राज्य में विकास को गति को बढ़ाने के लिए सरकार यह समीकरण बना रही हैं साथ ही इस बार बीजेपी सरकार केंद्र और राज्य में डबल इंजिन की सरकार बनना चाहती हैं ।
क्या इस बार बदल सकता है रिवाज?
एक तरफ बीजेपी ने हर बार सरकार बदलने के रिवाज पर थमी हुई है तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेताओं का दावा है की इस बार रिवाज तो बदलेगा लेकिन सरकार नहीं।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई की पहली बार राज्य में सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोध की लहर देखन को नहीं मिल रही है। सीएम अशोक गहलोत को इस बार अपने किए सभी जनकल्याण कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं पर पूरा भरोसा है, वे दावा करते हैं की उनकी सभी योजनाओं का लाभ राज्य के हर गांव और परिवार तक पहुंच रही हैं।
तो वहीं बीजेपी ने अभी तक राजस्थान में अपने सीएम के चेहरे का ऐलान नहीं किया हैं, लेकिन वसुंधरा राजे के समर्थक उन्हें फिर से सीएम के रूप में देखते हैं, राजे 2 बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, हाला की यदि कोई है जो बीजेपी से राजस्थान में चुनाव का प्रचार करता नजर आया है तो वो हैं पीएम नरेंद्र मोदी, वह पहले ही राज्य में कई रैलियों को संबोधित कर चुके हैं ।
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