इंदौर। तीन माह में 25 चिह्नित प्रकरणों के निराकरण के आदेश का विरोध करते हुए कार्य से विरत रहने वाले वकीलों की परेशानी बढ़ गई है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले में वकीलों के खिलाफ अवमानना प्रकरण दर्ज हुए थे। इन प्रकरणों की सुनवाई इंदौर के बजाय जबलपुर में होगी। ऐसे में इन वकीलों को सुनवाई के दौरान जबलपुर उपस्थित होना पडेगा।
प्रदेशभर में साढ़े चार हजार से ज्यादा वकीलों के खिलाफ अवमानना प्रकरण दर्ज हुए थे। इनमें से 1700 से ज्यादा वकील इंदौर के हैं। अवमानना याचिकाओं में 17 अक्टूबर को जबलपुर में सुनवाई होगी। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने आदेश जारी कर जिला न्यायालय के न्यायाधीशों से कहा था कि वे तीन माह के भीतर 25 चिह्नित प्रकरणों का अनिवार्य रूप से निराकरण करें। वकील इस आदेश का विरोध कर रहे थे।
न्यायिक कार्य से विरत रहे थे प्रदेशभर के वकील
वकीलों का कहना था कि इस आदेश की वजह से न्यायालय का नियमित काम प्रभावित होता है। 25 चिह्नित प्रकरणों के निराकरण के चक्कर में न्यायाधीश अन्य प्रकरणों की सुनवाई पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं। राज्य अधिवक्ता परिषद ने इस आदेश का विरोध करते हुए प्रदेशभर के वकीलों से न्यायिक कार्य से विरत रहने का आह्वान किया था। वकीलों ने इसका समर्थन किया और न्यायिक कार्य के लिए न्यायालयों में उपस्थित नहीं हुए।
हाई कोर्ट ने वकीलों को जारी किया था मेमो
हाई कोर्ट ने सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं होने वाले इंदौर के 1700 से ज्यादा वकीलों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। हाल ही में मप्र हाई कोर्ट ने मेमो जारी कर इंदौर खंडपीठ में इस मामले में दर्ज 1700 से ज्यादा अवमानना याचिकाओं का असल रिकार्ड जबलपुर मुख्यपीठ भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
वकील हैं परेशान
हाई कोर्ट के अवमानना याचिकाएं जबलपुर ट्रांसफर करने के आदेश से वकील परेशान हैं। इंदौर के इन वकीलों को अब सुनवाई के लिए जबलपुर में उपस्थित होना पड़ेगा। हालांकि, कुछ वकीलों ने इंदौर के वकीलों की तरफ से जबलपुर में पैरवी करने का प्रस्ताव भी रखा है।
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