नई दिल्ली। 24 हफ्ते की एक गर्भवती महिला ने गर्भ गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का सहारा लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला का उसके शरीर पर पूरा अधिकार है। महिला मानसिक, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक रूप से बच्चे को संभालने की स्थिति में नहीं है, इसलिए महिला अपने गर्भ को गिरा सकती है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और बीवी नागरत्ना ने कहा कि विवाहित महिला को एम्स में 24 सप्ताह का भ्रूण गिराने की अनुमति दी। उन्होंने कहा कि कोर्ट महिला के फैसले लेने के अधिकार को मान्यता देता है। महिला ने अपनी याचिका में बताया कि वह शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, आर्थिक व सामाजिक रूप से अपने तीसरे बच्चे के लिए तैयार नही है।
महिला ने गर्भ गिराने के फैसले का बताया कारण
महिला दिल्ली की रहवासी है। महिला अपने 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। महिला ने बताया कि उसके पहले से 2 बच्चे हैं। उसे तीसरी गर्भावस्था की जानकारी नहीं थी। वह एक लैक्टेशनल एमेनोरिया नाम की असाधारण बीमारी से पीड़ित है।। लैक्टेशनल एमेनोरिया नाम की इस बीमारी में महिला का स्तनपान कराने के दौरान मासिक धर्म नहीं होता है। महिला को दो डिलीवरी होने के बाद डिप्रेशन हो गया था। महिला का डिप्रेशन का इलाज चल रहा है। महिला ने सुप्रीम कोर्ट को यह कारण बताकर गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी।
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