ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त झुंडपुरा गांव का एक ऐसा कॉलेज जो 12 सालों से सिर्फ कागजों में चल रहा है, उसकी जांच के लिए अब ईओडब्ल्यू खुद जेयू जा पहुंचा है। वहां इस बात का पता किया जा रहा है कि संबद्धता देने में किस तरह की गड़बड़ हुई थी, कॉलेज वहां अस्तित्व में था भी या नहीं । माना जा रहा है कि आगामी दिनों में जेयू के अधिकारियों को भी ईओडब्ल्यू जा कर अपने बयान दर्ज करवाने पड़ सकते हैं ।
बता दें की जेयू ने भी इस मामले में जांच करने के लिए एक कमेटी बनाई थी, जिसमे मुरैना के एसडीएम, मुरैना पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल और जेयू से एक प्रोफेसर शामिल थे।लेकिन उन्होंने मामले की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। यानी मामले में इतने संगीन आरोप लगाए जाने पर भी जेयू इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है।
निष्पक्ष जांच की मांग
बता दें की इस मामले का शिकायतकर्ता और उस कॉलेज का कथित प्राचार्य अरुण शर्मा पिछले लंबे समय से जीवाजी यूनिवर्सिटी में एक मानसेवी शिक्षक के तौर पर काम करते थे । पिछली 10 अगस्त को इन्हे जीवाजी विश्वविद्यालय ने नौकरी से निकाल दिया है । इसके पीछे का कारण ये रहा की हाल ही में झुंडपुरा के शिवशक्ति कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर अरुण का काम करना बताया जा रहा था लेकिन अरुण इस बात से इंकार कर रहे है। इसको ले कर उन्होंने जेयू को कई बार शिकायत भी दी है। एसपी से मुलाकात कर अपनी शिकायत भी दर्ज कराई है। लेकिन इस मुद्दे को इसके अलावा निष्पक्ष जांच की भी मांग की है।
शिकायत करने वाले से ही कागज मांगे
अरुण शर्मा का कहना है कि वह पिछले लंबे समय से जेयू से इस मामले की शिकायत देकर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है लेकिन जेयू ने बजाय मामले की जांच कराने के उस प्राचार्य से ही दस्तावेज मांग लिए। जिस पर नाराजगी जताते हुए अरुण शर्मा ने एसपी से मुलाकात कर मामले में निष्पक्ष कार्यवाही करने की मांग की है।
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