छतरपुर। अभी तक बुंदेलखंड की अधिकांश सीटों पर भाजपा और कांग्रेस की ही चर्चा चल रही थी। अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के खजुराहो दौरे के बाद नई हलचल देखी जा रही है। कई ऐसे नेता जिनकी दाल भाजपा और कांग्रेस में नहीं गल पा रही है, वह साइकिल से चुनावी ट्रैक पर रेस लगाने की तैयारी करने लगे हैं। कई नेता तो अखिलेश से मिलने खजुराहो पहुंचे। बंद कमरों में बातचीत भी हुई। खुद अखिलेश भी साफ कर चुके हैं कि उन्हें भी दूसरी पार्टियों के दमदार दावेदारों को टिकट देने में कोई गुरेज नहीं है।
बिजावर सीट पर जीती थी सपा
समाजवादी पार्टी को पिछली विधानसभा में छतरपुर जिले में बिजावर विधानसभा सीट से सफलता मिली थी, जहां से राजेश बबलू शुक्ला चुनाव जीते थे। बाद में बबलू शुक्ला ने भाजपा का दामन थाम लिया था। बिजावर में सीट निकलने के साथ ही सपा को और बल मिल गया, क्योंकि छतरपुर के चंदला, राजनगर, और महाराजपुर के अलावा टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले की सीमा उत्तर प्रदेश से सटी है और यह समाजवादी पार्टी के दखल वाले क्षेत्र हैं।
छतरपुर की 6 सीटों पर बढ़ाया फोकस
बिजावर के समीकरणों को देखते हुए सपा ने छतरपुर की सभी छह सीटों पर फोकस बढ़ा दिया है। खजुराहो से चुनावी नब्ज टटोल कर गए अखिलेश यादव की नजर भाजपा और कांग्रेस के उन नेताओं पर है जो क्षेत्र में अपना वजन रखते हैं और अपनी पार्टियों से नाराज चल रहे हैं।
अखिलेश से हुई इनकी मुलाकात
सपा प्रमुख के खजुराहो आने पर कांग्रेस के पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह बुंदेला, भाजपा के पूर्व विधायक आरडी प्रजापति, कांग्रेस नेता डीलमणि सिंह, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष घाटीराम पटेल की मुलाकात की चर्चा है। यह वो चेहरे हैं जो क्षेत्र में अपना दबदबा रखते हैं और कहीं न कहीं अपनी पार्टी से नाराज हैं।
आदिवासियों के आंगन में खाया खाना
इतना ही नहीं क्षेत्र में आदिवासियों को रिझाने के लिए अखिलेश यहां के सिंगरों गांव के आदिवासियों के आंगन में बैठकर खाना खाते भी नजर आए थे। इधर बुंदेलखंड में भाजपा का चुनावी किला उतना मजबूत नहीं बन पा रहा जितना कि कुछ साल पहले हुआ करता था। छतरपुर में कुछ नेता-कार्यकर्ता नाराज हैं। जिन्हें मनाने-समझाने के लिए वरिष्ठ नेता बातचीत कर रहे हैं। नाराज लोगों की बातचीत पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी कराई गई थी।
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