ग्वालियर। नेत्रहीन बेसहारा दंपत्ति….जो खुले आसमान के नीचे रहने काे मजबूर थे। कभी किसी झोंपड़े में तो कभी पेड़ के नीचे बैठकर अपने दिन गुजार रहे थे। जब पुलिस अफसरों को इस बारे में पता लगा तो पुलिस ने इन्हें आशियाना दिलाया। घाटीगांव में खाली पड़े रेलवे के क्वार्टर की सफाई कराई गई। इसे इनके रहने लायक बनाया गया। नेत्रहीन दंपत्ति को राशन, बर्तन की व्यवस्था के लिए डीएसपी संतोष पटेल और उनके साथी पुलिसकर्मी आगे आए। डीएसपी को दूसरे अनुभाग में स्थानांतरित किया गया है, इसके चलते उनका विदाई समारोह था। विदाई समारोह में फूलमाला, मिठाई और उपहार लाने के लिए उन्होंने पुलिसकर्मियों से इंकार कर दिया। इस पैसे का जरूरी सामान मंगवाया और नेत्रहीन दंपत्ति की गृहस्थी शुरू करवाई।
नेत्रहीन दंपति के घर पर कर लिया था दूसरों ने कब्जा
दरअसल घाटीगांव में रहने वाले लक्ष्मण आदिवासी और उनकी पत्नी बिंद्रा आदिवासी नेत्रहीन हैं। इनके परिवार में कोई नहीं बचा है। जिस कच्चे घर में यह लोग रहते थे, उस पर दूसरों ने कब्जा कर लिया। वह अब रहने लायक भी नहीं बचा है। इसके चलते पेड़ के नीचे रहकर दिन काट रहे थे। यह लोग मंगलवार को पुलिस कंट्रोल रूम में आयोजित जनसुनवाई में पहुंचे। एएसपी निरंजन शर्मा को इन्होंने रोते हुए अपना दर्द बताया। एएसपी ने तुरंत डीएसपी संतोष पटेल को फोन किया और इनकी मदद के निर्देश दिए। डीएसपी अब तक एसडीओपी घाटीगांव का पदभार संभाल रहे थे। उनका स्थानांतरण हाल ही में बेहट अनुभाग में हुआ है। इसके चलते उनका बुधवार को विदाई समारोह था। विदाई समारोह में उन्होंने पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग जो शामिल होने वाले थे, उनसे उपहार न लाने की बात कही। इस पैसे की जगह राशन, बर्तन की व्यवस्था करने के लिए कहा। घाटीगांव में ही रेलवे का क्वार्टर खाली पड़ा था। इस क्वार्टर में इन्हें शिफ्ट करवाया गया।
पुलिस कर्मियों ने किया श्रमदान
क्वार्टर में कुछ निर्माण कार्य भी किया गया। इसे भी पुलिसकर्मियों ने ही श्रमदान कर बनाया। फिर नेत्रहीन दंपत्ति का गृहप्रवेश करवाया गया। टीन के ऊपर त्रिपाल की व्यवस्था थाना प्रभारी घाटीगांव प्रशांत शर्मा ने की। बिजली विभाग के विकास शर्मा ने बोर्ड वायरिंग की व्यवस्था कर दी। यहां पंखा भी लगा दिया गया। शिक्षा विभाग के बीआरसी शशिभूषण श्रीवास्तव, बीइओ ने 50 किलो गेहूं, बीएसी नीलम ने बर्तन दिए। इस तरह नेत्रहीन दंपत्ति के गृहप्रवेश के बाद इनकी गृहस्थी भी शुरू हो गई। पुलिस की इस पहल की चर्चा सुर्खियों में है। इंटरनेट मीडिया पर भी इसका वीडियो बहुप्रसारित हो रहा है।
विदाई समारोह में प्रशिक्षु आइपीएस ने की थी नई शुरुआत
सबसे पहले विदाई समारोह में प्रशिक्षु आइपीएस विदिता डागर ने नई शुरुआत की थी। उनकी विदाई समारोह में जो खर्च होना था, उस खर्च को उन्होंने स्वागत-सत्कार की जगह आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के शैक्षणिक उत्थान के लिए खर्च करने की पहल की थी।
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