रतलाम। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायालय ने रिश्वत लेने के पांच वर्ष पुराने मामले में यूनियन बैंक आफ इंडिया की नामली शाखा के पूर्व मैनेजर 43 वर्षीय महेंद्रसिंह डेहरिया निवासी ग्राम चैरई जिला छिंदवाडा को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) डी में चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उस पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। फैसला विशेष न्यायाधीश संतोषकुमार गुप्ता ने सुनाया। फैसला सुनाने के बाद उसे जेल भेज दिया गया।
जिला अभियोजन अधिकारी गोविंद प्रसाद घाटिया ने बताया कि 16 फरवरी 2018 को फरियादी हिम्मतसिंह पुत्र रूपसिंह निवासी ग्राम गुवालखेडी (बरबोदना), ने लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में शिकायत की थी कि उसके पिता रूपसिंह तथा रूपसिंह के भाइयों बलवंतसिंह व फूलसिंह के नाम से संयुक्त केसीसी खाता यूनियन बैंक आफ इंडिया की नामली शाखा में है। रूपसिंह को आचार्य विद्यासागर योजना के तहत पशुपालन के लिए पशुपालन विभाग से 4.25 लाख रुपये सब्सिडी सहित लोन स्वीकृति होकर यूनियन बैंक आफ इंडिया पहुंचा था।
वे लोन की किश्त निकालने के लिए तत्कालीन शाखा प्रबंधक महेंद्रसिंह डेहरिया से मिले तो उन्होंने किश्त जारी करने के लिए 25 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस पर लोकायुक्त टीम ने रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई थी तथा 17 फरवरी 2018 को लोकायुक्त दल नामली पहुंचा था। योजना के तहत फरियादी हिम्मतसिंह ने बैंक में जाकर 25 हजार रुपये मैनेजर डेहरिया के कहने पर सहअारोपित 64 वर्षीय दिलीप शर्मा पुत्र लादूराम शर्मा निवासी खान बावड़ी रोड को 25 हजार रुपये दिए थे।
इसके बाद लोकायुक्त दल ने मैनेजर डेहरिया व सह आरोपित दिलीप शर्मा को रिश्वत लेने के आरोप में पकड़कर दिलीप शर्मा के पास से रुपये जब्त किए थे।दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लोकायुक्त ने न्यायालय में चालान पेश किया था। सुनवाई के बाद शनिवार को न्यायालय ने बैंक मैनेजर महेंद्रसिंह डेहरिया को दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई। सहआरोपित दिलीप शर्मा को दोषमुक्त किया गया।
बैंक मैनेजर ने कहा था रुपये लेने को
हिम्मतसिंह ने लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव को बताया था कि जब वे मैनेजर महेंद्रसिंह डेहरिया को रुपये देने गए तो उन्होंने हाथ से इशारा कर दिलीप शर्मा उर्फ जोशी को रुपये देने के लिए कहा था। इस पर उन्होंने बैंक से बाहर आकर दिलीप शर्मा को रुपये दिए थे। वहीं दिलीप शर्मा ने बताया था कि उन्होंने रिश्वत के रुपये महेंद्रसिंह डेहरिया के कहने पर लिए थे। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी विशेष लोक अभियोजक कृष्णकांत चैहान ने की।
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