यह है मामला
दरअसल, शिक्षक भूषणचंद जैन ने 2018 में मकान के लिए पंजाब नेशनल बैंक से लोन लिया था। उन्होंने लोन लेने के पहले जीवन बीमा कराया था। यह बीमा पीएनबी मेटलाइफ इंडियन इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा किया गया। इसके लिए उनसे एक लाख 34 हजार रुपये प्रीमियम के तौर पर लिए गए। वर्ष 2021 में दिल का दौरा पड़ने से भूषण चंद्र की मृत्यु हो गई। उनके बेटे आकाश जैन ने बीमा की राशि के लिए आवेदन किया। बीमा कंपनी ने यह तर्क रखा कि उपभोक्ता को पहले से उच्च रक्तचाप और लिवर की बीमारी थी। उपभोक्ता ने बीमारी होने की बात को छुपाया था। अधिवक्ता आशीष चौधरी ने बताया कि बीमा कंपनी द्वारा किसी तरह का कोई ठोस साक्ष्य जैसे कोई पर्चे आदि प्रस्तुत नहीं किए गए। इस कारण न्यायालय ने बीमा कंपनी का तर्क स्वीकार नहीं किया। कंपनी को बीमा की राशि दो माह के अंदर देनी होगी।
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