रिंगनोद। एक तरफ जहां कई लोग जातिगत जनगणना की पैरवी कर इसे देशहित में बताते हैं तो दूसरी तरफ मप्र के धार जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत रिंगनोद के 33 जातियों के समाज प्रमुखों ने इस पैरवी को सिरे से खारिज करते हुए एक देवालय, एक जलाशय, एक श्मशान, एक पंगत और अनुसूचित जाति निर्विघ्न सामाजिक-धार्मिक कार्यक्रमों में किसी प्रकार का भेदभाव न करने का संकल्प लिया है। यही नहीं अब गांव को समरस गांव भी घोषित कर दिया गया। माना जा रहा है मालवा प्रांत ही नहीं, अपितु मप्र का यह पहला ऐसा गांव है, जहां इस तरह की घोषणा हुई है।
हमारा रिंगनोद-समरस ग्राम
घोषणा सोमवार रात हिंदू उत्सव समिति द्वारा आयोजित भारत माता की आरती के दौरान राष्ट्रीय संतों, कथावाचकों, एसडीएम और एसडीओपी सहित ग्रामीणों की उपस्थिति में की गई। रात करीब 10 बजे हुई इस घोषणा का मूल मंत्र दिया गया हमारा रिंगनोद-समरस ग्राम।
हिंदू उत्सव समिति द्वारा पिछले आठ वर्ष से की जा रही भारत माता की आरती में हजारों लोगों की उपस्थिति होती है। सोमवार रात भी पांच हजार से ज्यादा श्रद्धालु आरती में शामिल हुए। ग्राम को गौरवान्वित करने वाले युवक-युवतियों को एसडीएम राहुल चौहान, एसडीओपी आशुतोष पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष मनोज सोमानी आदि ने सम्मानित किया।
गांव के हर घर पर लगेगा समरसता स्टीकर
हिंदू उत्सव समिति के सदस्यों ने बताया कि समरस गांव घोषित होने के बाद अब गांव के हर घर में महापुरुषों के चित्र से बने समरसता स्टीकर चस्पा किए जाएंगे। इससे पूर्व मंच पर स्टीकर का विमोचन हुआ। कथावाचक गोपाल कृष्णजी ने विमोचन कर जनसमुदाय को समरसता का संकल्प दिलवाया।
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