इंदौर। आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा ने अब तक 79 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। खास बात यह है कि इस सूची में भाजपा ने तीन केंद्रीय मंत्रियों से लेकर 4 सांसदों तक को प्रत्याशी घोषित किया है। इसके साथ ही इनमें एक नाम भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का भी है उन्हें इंदौर एक से चुनावी मैदान में उतारा गया है। वे 2015 के बाद से ही प्रदेश की राजनीति से दूर थे।
भाजपा ने जिन आठ विधानसभा सीटों पर दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारा है, उनमें से 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। जबकि भाजपा को सिर्फ सीधी और नरसिंहपुर पर ही जीत मिली । इनमें कुछ सीटें ऐसी भी है जो भाजपा का गढ़ तक रही है, ऐसे में भाजपा इस चुनाव में अपने गढ़ काे बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं दिग्गजों को चुनाव में उतारने के बाद ये सीटें भाजपा के लिए नाक का सवाल भी बन चुकी हैं।
ऐसा रहा है इन विधानसभा क्षेत्रों का हाल
इंदौर 1
इंदौर विधानसभा एक 2003 के बाद से ही भाजपा का गढ़ रही है। यहां एक बार उषा ठाकुर तो वहीं दो बार सुदर्शन गुप्ता विधायक रह चुके हैं। लेकिन पिछले चुनाव में सुदर्शन गुप्ता को संजय शुक्ला के हाथों महज 8 हजार 163 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। जिसका मुख्य कारण लोगों में गुप्ता का लेकर नाराजगी बताई जाती है। लिहाजा भाजपा ने इस सीट पर कोई रिस्क न लेते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को चुनावी मैदान में उतारा है।
दिमनी विधानसभा
दिमनी विधानसभा 1980 से 2008 के चुनाव तक भाजपा का गढ़ रहा है। यहां 1980 से 2008 तक 6 विधानसभा चुनाव को हुए, जिसमें से सिर्फ एक बार 1985 में ही भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से ही 2008 तक भाजपा यह सीट जितती आ रही थी। लेकिन पिछले दो चुनावों से पार्टी को यहां हार का सामना कर करना पड़ रहा है। 2013 के चुनाव में बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया ने जीत दर्ज की थी ताे वहीं 2018 में जहां कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने 18 हजार 477 वोटों से जीत दर्ज की। ऐसे में भाजपा ने अपने गढ़ में वापसी के लिए नरेंद्र सिंह तोमर को चुनावी मैदान में उतारा है।
निवास विधानसभा
भाजपा ने निवास सीट से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को प्रत्याशी घोषित किया है। भाजपा 2003 से इस सीट पर चुनाव जितती आ रही थी। यहां फग्गन सिंह कुलस्ते के भाई रामप्यारे कुलस्ते तीन बार विधायक रहे। लेकिन 2018 में उन्हे कांग्रेस प्रत्याशी अशोक मर्सकोले ने 28 हजार से अधिक वोटों से हराया था। ऐसे में पार्टी ने इस सीट पर दोबारा जीत हासिल करने के लिए फग्गन सिंह कुलस्ते को चुनावी मैदान में उतारा है। फग्गन सिंह 1990 में भी यहां से विधायक रहे हैं।
जबलपुर पश्चिम
भाजपा ने जबलपुर पश्चिम से सांसद राकेश सिंह को टिकट दिया है। यहां 1990 से 2008 तक हुए पांच विधानसभा चुनाव में भाजपा अजेय रही। लेकिन 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमा लिया। वहीं 2018 में भी कांग्रेस ने पर जीत जारी रखी और कांग्रेस प्रत्याशी तरुण भनोट ने हरेंद्रजीत सिंह को 18 हजार 683 वोट से हराया । ऐसे में भाजपा इस गढ़ में वापसी के प्रयास में जुटी है।
सतना विधानसभा
इस सीट पर 2003 से 2013 तक हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की, लेकिन 2018 में भाजपा ने यह सीट गवां दी और पार्टी को 12 हजार 558 वोटाें से हार का सामना करना पड़ा था। यहां वतर्मान में कांग्रेस के सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह विधायक है। भाजपा ने इस सीट पर सांसद गणेश सिंह को टिकट दिया है।
गाडरवारा विधानसभा
गाडरवारा विधानसभा सीट पर 1990 से अब तक हुए चुनाव में कभी किसी एक पार्टी ने लगातार जीत दर्ज नहीं की। सिर्फ 1993 और 1998 में दो बार लगातार कांग्रेस जीती थी। जिसके बाद से एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा चुनाव में जितती रही है। पिछले चुनाव में यहां कांग्रेस को जीत मिली थी, तब कांग्रेस के उदय प्रताप सिंह ने 15 हजार 363 वोटों से जीत दर्ज की थी। ऐसे में पार्टी ने इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए उदय प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है। वे फिलहाल होशंगाबाद-नरसिंहपुर सांसद हैं।
नरसिंहपुर विधानसभा
इस सीट पर भाजपा पिछले दो चुनावों से जितती रही है। पिछला चुनाव भाजपा के जालम सिंह पटेल ने जीता था। इस बार भाजपा ने इस सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है।
सीधी विधानसभा
सीधी विधानसभा सीट पर लंबे समय से कांग्रेस का कब्जा था, लेकिन 2003 के बाद से ही भाजपा लगातार इस सीट पर जितते आ रही है। पिछला चुनाव केदारनाथ शुक्ल ने 19 हजार से अधिक वोटों से जीता था। वे लगातार तीन बार यहां से विधायक रहे हैं। भाजपा ने इस सीट से रीति पाठक को मौका दिया है। वे वर्तमान में सीधी से सासंद हैं।
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