भोपाल। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की दूसरी सूची में दिग्गजों को शामिल कर न केवल चौंकाया है, बल्कि एक तीर से कई निशाने भी लगाए हैं। सियासी गलियारे में इस सूची को लेकर खासी हलचल है। भाजपा में सतह के नीचे की निष्क्रियता अचानक काफूर हो गई है, तो कांग्रेस के पास इन दिग्गजों के मुकाबले प्रत्याशी उतारने की चुनौती बढ़ गई है।
केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतारा
तीन केंद्रीय मंत्रियों और चार सांसदों को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने विभिन्न अंचलों में अपना गढ़ बचाने का बड़ा दांव खेला है। उधर, दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने से भाजपा में भी भावी मुख्यमंत्री को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। पार्टी ने इसके जरिए एंटी इनकमबेंसी को तो साधा ही, यह भी स्पष्ट कर दिया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में भाजपा का इकलौता चेहरा नहीं हैं। पार्टी के पास हर अंचल में बड़े चेहरे मौजूद हैं और वे मुख्यमंत्री की प्रतिस्पर्धा में शामिल हैं।
मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में यह स्पष्ट कर दिया था कि मप्र में भाजपा मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना चुनाव लड़ेगी। भाजपा ने इन दिग्गजों को मैदान में उतारकर जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण भी साधने की कोशिश की है। इनका खुद का औरा इतना अधिक है कि वह स्वयं जीतने के साथ आसपास की सीटों पर भी कमल खिलाने में कारगर साबित हो सकते हैं।
ग्वालियर-चंबल संभाग तोमर के हाथ
प्रत्याशियों की घोषणा और दिग्गज नेताओं को उतार कर भाजपा ने चुनाव से करीब दो महीने पहले ही कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय कर दिया है। माना जा रहा है कि वरिष्ठ नेताओं के मैदान में होने से टिकट के लिए असंतोष की गुंजाइश भी नहीं रह जाएगी। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मैदान में होने से ग्वालियर-चंबल संभाग में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती से निपटना आसान होगा। यहां तोमर के मुकाबले कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है।
मालवांचल और महाकोशल को साधा
मालवांचल में यही लाभ कैलाश विजयवर्गीय के होने से मिलेगा। इंदौर और आसपास की सीटों पर विजयवर्गीय का करीब दो दशक से प्रभाव माना जा रहा है। महाकोशल में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और राकेश सिंह का प्रभाव कारगर साबित हो सकता है। पटेल अटल सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं और ओबीसी वर्ग के बड़े नेता हैं। जबलपुर से सांसद राकेश सिंह लोकसभा में पार्टी की ओर से सबसे लंबे समय तक सचेतक रहने के साथ महाकोशल में भाजपा को मजबूत बनाया है।
आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिस
फग्गन सिंह कुलस्ते आदिवासी वर्ग को साधने के लिए सबसे बड़ा नाम है, वहीं लाल सिंह आर्य पार्टी के दलित वर्ग का बड़ा चेहरा हैं। उन्हें अनुसूचित जाति मोर्चे का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर बड़ा दायित्व दिया गया था। उन्हें भिंड जिले की गोहद विधानसभा से प्रत्याशी बनाकर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में संदेश देने का काम किया गया है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.