धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की उपासना करने से साधक को सुख एवं समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है। इससे भगवान प्रसन्न होते हैं। सभी कष्टों का निवारण करने के साथ ही कृपा करते हैं। इस व्रत को रखने से जीवन में आने वाले कष्ट अपने आप खत्म हो जाते हैं। शिव मंदिर के पुजारी पंडित रमेश तिवारी का कहना है कि यह व्रत बेहद खास होता है। इस बार बुधवार का दिन पड़ रहा है जो गणपति का वार है। ऐसे में श्रद्धालु भक्तों को भोलेनाथ-पार्वती के साथ गणपति का विशेष आशीर्वाद मिलेगा।
प्रदोष व्रत में महादेव और माता पार्वती की पूजा के लिए गंगाजल, धूप दीप, पूजा के बर्तन, देसी घी, मिष्ठान, भांग, धतूरा, कपूर, रोली, मौली, फल और मेवे भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही भगवान की पूजा-अर्चना करें। साथ ही मां पार्वती का पूर्ण शृंगार करें। इससे मां प्रसन्न होती हैं। सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। शिवालयों में इस दिन जल अवश्य चढ़ाना चाहिए
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव प्रार्थना मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥
शिव नमस्काराथा मंत्र
ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय
हिरण्यपतए अंबिका पतए उमा पतए पशूपतए नमो नमः
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्
ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवो अस्तु सदा शिवोहम
तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्
महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्
नमस्ते अस्तु भगवान विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय
त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय
सर्वेश्वराय सदशिवाय श्रीमान महादेवाय नमः
शिव मंत्र
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् ॥
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