ग्वालियर। शहरवासियों की लापरवाही कहीं न कहीं पर्यावरण के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि लगातार शहर में बढ़ रहे प्रदूषण का असर पर्यावरण से लेकर आम आदमी के स्वास्थ्य पर साफ देखने मिल रहा है। कहीं बीमारियां बढ़ रही हैं तो कहीं मौसम का चक्र बिगड़ रहा है। ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं से निजात नहीं पाई जा सकती, लेकिन इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। करना भी कुछ खास नहीं, बस पौधारोपण करना है और कुछ आदतों को बदलना है। आज वर्ल्ड एनवायरमेंटल हेल्थ डे पर हमने पर्यावरण विशेषज्ञ डा. निमिषा जादौन से बातचीत कर जाना कि पर्यावरण के स्वास्थ्य को किस प्रकार से सुरक्षित रखा जा सकता है।
पौधारोपण बहुत जरूरी
शहर में इन दिनों लगातार कम हो रही पेड़ों की संख्या पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। या यूं कहें कि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनी हुई है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिये पेड़-पौधों को लगाना बेहद जरूरी है। प्रति व्यक्ति एक पौधा लगाया जाए और उसका ख्याल सही ढंग से रखा जाए तो भी काफी फर्क पड़ जायेगा। प्लास्टिक को कहें “ना” प्लास्टिक का अधिक इस्तेमाल भी पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है। उस पर भी प्लास्टिक जलाए जाने पर न सिर्फ वायु प्रदूषण फैलाता है, बल्कि इसे विघटित होने में भी 450 साल से अधिक का समय लग जाता है। ऐसे में जरूरी है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करें। रोजाना के कामों जैसे- सब्जियां या समान लेने के लिए अपने साथ कपड़े या जूटबैग लेकर जाएं।
रेड लाइट पर बंद करें वाहन
गाड़ी, बाइक, स्कूटर आदि का धुआं भी पर्यावरण का स्वास्थ बिगाड़ने का सबसे अहम कारण है, इसलिए जितना हो सके इनका कम से कम यूज करें। अगर किसी काम के लिए थोड़ी दूर जा रहे हैं, तो पैदल जाएं या साइकिल यूज करें। इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का यूज करें और इस बात का ध्यान रखें कि रेड लाइट होने पर वाहन को बंद कर दें।
कचरा हो कम से
कम शहर में सबसे बड़ी समस्या कचरा निस्तारण की होती है, इस मामले में हमारा शहर भी परेशान है। जहां कचरा कम होगा तो उसे आसानी से रिसाइकिल किया जा सकेगा। ऐसे में कोशिश करें कि आप कम से कम गंदगी फैलाएं। साथ ही सड़कों पर इधर-उधर कूड़ा न फेंके। किचन के गीले कचरे को आप घर के बगीचे या किसी गार्डन में ही रिसाइकल करें।
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