जबलपुर। गणेश चतुर्थी को लेकर शहर में तैयारी शुरू हो गई है। दस दिन चलने वाले उत्सव को लेकर हर वर्ग में उत्साह है। जहां घरों पर महिलाएं तैयारी में जुटी हैं, वहीं दूसरी तरफ बाजार में भगवान गणेश की कई तरह की मूर्ति आकर्षित कर रही हैं। गणेश चतुर्थी को लेकर सेंट्रल जेल के दस कैदियों ने मिलकर 300 इको फ्रेंडली गणेश मूर्तियां बनाई हैं। सेंट्रल जेल के बाहर स्टाल लगाया गया।
प्रशिक्षण में बंदियों को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है
नेताजी सुभाषचंद्र बोस में पिछले चार वर्षों से इको फ्रेंडली गणेश मूर्ति बनाने का कार्य किया जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इसका लाभ देना। साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है। सेंटल जेल में मूर्तिकला प्रशिक्षण में बंदियों को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है।
छोटी के साथ बड़ी मूर्तियों का भी निर्माण
बंदियों ने छोटी के साथ बड़ी मूर्तियां का भी निर्माण किया। जर्जस कालोनी, जेल के अंदर तथा मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के लिए चार बड़ी मूर्तियाें को निर्माण किया गया है। इसके अलावा 300 छोटी प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है। बंदियों ने तैयार की मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं।
मिट्टी और गोबर के बीज से निर्मित की गई मूर्ति
जेलर मदन कमलेश ने बताया कि गणेश मूर्तियां जेल के बंदियों ने बनाई है। इन मूर्तियों के लिए बगीचे की काली मिट्टी, गोबर और तुलसी के बीज मिलाकर तैयार किया जा गया है। मूर्तियों को रंगने के लिए प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल किया गया है। इन मूर्तियों को घर में भी विसर्जित किया जा सकता है। सेंट्रल जेल में मूर्तिकला प्रशिक्षण विभाग में बंदियों को मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है।
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