दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के दो शिक्षक उषा भुआर्य और खेमलाल सिन्हा को शिक्षक दिवस पर पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा। मोखपाल प्राथमिक शाला में पदस्थ शिक्षक खेमलाल सिन्हा, मोखपाल के नाका पारा में पदस्थ शिक्षक खेमलाल वर्ष 2006 से यहां पदस्थ है।
शिक्षक खेमलाल विषम परिस्थितियों में भी मोखपाल जैसे नक्सल क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाते आ रहे हैं। खासकर कोरोना काल में शिक्षक का विशेष योगदान रहा है। मोहल्ला क्लास का लगातार यहां संचालन होता रहा, जिसके लिए शिक्षक को जिलास्तर पर पुरस्कृत भी किया था। मोखपाल नाकापारा स्कूल को वर्ष 20018 में बेस्ट स्कूल का पुरस्कार भी मिल चुका है। स्कूल को स्वच्छता के लिए भी 2006 प्रशस्ति पत्र मिल चुका है। मोखपाल स्कूल कबाड़ से जुगाड़ में भी स्कूल जिले में प्रथम आ चुका है।
शत-प्रतिशत बच्चों की स्कूल में उपस्थित रखने में कामयाब हुए खेमलाल
दंतेवाड़ा के नक्सलगढ़ के स्कूलों में जहां दस से बारह बच्चे ही स्कूल में मिलते हैं, वहीं मोखपाल स्कूल में दर्ज 40 छात्र-छात्राओं में सभी बच्चे नियमित रूप से स्कूल ड्रेस में आते हैं। खेमलाल स्कूल नहीं आने वाले छात्र के घर पहुंच जाते हैं। शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला मोखपाल प्राथमिक शाला का दौरा कर चुके हैं। उनके द्वारा भी शिक्षक की जमकर तारीफ की गई थी। मोखपाल जैसे गांव में जहां सौ प्रतिशत आदिवासी परिवार हैं जो बच्चो को स्कूल जाने प्रेरित नहीं करते हैं पर शिक्षक ने पालको को विश्वास में लेकर गांव के सभी बच्चों को स्कूल लाने में कामयाबी हासिल की है जो जिले के दूसरे नक्सल प्रभवित गांवो में नही दिखता है।
एकल शिक्षकीय स्कूल है मोखपाल नाकापारा
मोखपाल नाकापारा में जहां 40 बच्चे प्राथमिक शाला में दर्ज हैं। खेमलाल वहां पहली से पांचवीं तक के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक हैं, जो बीएलओ का कार्य करते हुए भी स्कूल पहुंचते हैं। बीएलओ के कार्य पर जाने के दौरान जब स्कूल में कोई शिक्षक नहीं बचता है तो यहां शिक्षक द्वारा स्वयं के पैसे से स्कूल में लगाए गए प्रोजेक्टर से बच्चे पढ़ाई करते मिलते हैं। स्कूल की हालत जर्जर है। शिक्षक स्वयं के पैसे से स्कूल की छत में तिरपाल डाल कर स्कूल का संचालन कर रहे हैं।
मोखपाल में खुशी का माहौल
गांव के शिक्षक को पुरस्कार मिलने की बात पर ग्रामीण काफी खुश नजर आए। सरपंच विनोद सोरी ने बताया खेमलाल सिन्हा का मोखपाल गांव में शिक्षा की अलख जागने में अहम भूमिका है। गांव के बच्चे अब गाय चराने नहीं, स्कूल जाते हैं।
महिला शिक्षिका उषा भुआर्य भी हुई सम्मानित
दंतेवाड़ा में शिक्षक दिवस पर दो शिक्षकों को राष्ट्रपति पुरष्कार से नवाजा जा रहा है। इसमें से एक हैं उषा भुआर्य। उषा अभी बूथपद पर उच्च प्राथमिक शाला में पदस्थ हैं। इससे पहले गुमडा प्राथमिक शाला में 2009 से 2022 तक पदस्थ रहीं। 22 बच्चों वाले स्कूल का संचालन महिला शिक्षिका अकेले ही करती रही हैं। कोरोनाकल में भी शिक्षिका ने स्कूल नहीं छोड़ा और बच्चो को शिक्षा से जोड़े रखा था। स्कूल को जिला स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं। शिक्षिका अब प्रमोशन में मिडिल स्कूल बूथपदर में पदस्थ है।
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