जबलपुर, । गोंड़ राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह का 18 सितंबर को बलिदान दिवस है। इस खास दिन को और विशेष बनाने की तैयारियां चल रही हैं। जिस जगह इन पिता-पुत्र ने अपने प्राण न्यौछावर किए थे, वहां भव्य संग्रहालय एवं स्मारक बनाया जा रहा है। संग्रहालय एवं स्मारक का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर अग्रसर है। इस खास संग्रहालय का लोकार्पण गोंड़ राजा शंकरशाह-रघुनाथशाह के बलिदान दिवस पर 18 सितंबर को किया जा सकता है। इस आयोजन में देश की किसी बड़ी हस्ती के शामिल होने की संभावना है।
आदिवासी अस्मिता से जुड़े इस संग्रहालय का भूमिपूजन गृहमंत्री अमित शाह कर चुके हैं, ऐसे में तय है कि लोकार्पण में अमित शाह या उनसे कोई बड़ी शख्सियत ही शामिल हो सकती है। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी यहां आ चुके हैं, ऐसे में राष्ट्रपति द्राेपती मुर्मु या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही शेष रह जाते हैं। दो माह बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की संभावना प्रबल है।
अमित शाह ने रखी थी आधारशिला
जनजातीय कार्य विभाग द्वारा बनाए जा रहे इस संग्रहालय और स्मारक की आधारशिला गृहमंत्री अमित शाह ने 18 सितम्बर 2021 को अपने जबलपुर प्रवास के दौरान रखी थी। वे गैरिसन मैदान पर आयोजित राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित समारोह में शामिल होने आए थे।
सन 1857 की क्रांति का नायक भी माना जाता है
देश और धर्म की रक्षा के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले जनजातीय नायक राजा शंकरशाह एवं उनके कुंवर रघुनाथ शाह को सन 1857 की क्रांति का नायक भी माना जाता है। इन्हें फिरंगी हुकूमत ने तोप के मुंह पर बांधकर उड़ा दिया था। इनके बलिदानों से भावी पीढ़ी को अवगत कराने रानी दुर्गावती लेडी हास्पिटल (एल्गिन) के सामने भव्य संग्रहालय और स्मारक बनाया जा रहा है। जिस जगह यह संग्रहालय बन रहा है वहीं पर दोनों जनजातीय जननायकों ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था। राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस को एक पखवाड़ा ही शेष है, इसलिए कलेक्टर सहित तमाम जिम्मेदार अफसर इस कार्य पर सतत नजर बनाए हुए हैं।
स्मृतियों को अच्क्षुण अनाए रखने
राजा शंकरशाह और उनके सुपुत्र कुंवर रघुनाथ शाह द्वारा देश की आजादी की अलख जगाने दिए गए बलिदान और उनकी वीर गाथाओं को संजोकर रखने बनाए जा रहे इस संग्रहालय में पांच गैलरियां बनाई जा रही हैं। ये दीर्घाएं गोंडवाना जनजाति, स्वतंत्रता की गूंज: 1857 का विद्रोह, राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह का बलिदान, 52वीं रेजीनेंट का इतिहास और रानी फुलकुंवर एवं मानकुंवर बाई की कहानियों पर केन्द्रित होंगी। इन वृत्तान्तों को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर आडियो-वीडियो के माध्यम से इस संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.