केंद्र सरकार राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और निवार्चन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन से जुड़ा बिल पेश करने वाली है। कांग्रेस ने इस विधेयक को ‘असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित’ करार दिया है और कहा कि वह इसका हर मंच पर विरोध करेगी। कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने यह आरोप भी लगाया कि यह कदम निर्वाचन आयोग को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रयास है। कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी ने भी इस बिल पर विरोध जताते हुए कहा कि बिल के जरिए मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है।
चुनाव आयोग को कठपुतली बनाने का खुला प्रयास
वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ (पूर्व का ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘यह चुनाव आयोग को पूरी तरह से प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का खुला प्रयास है। उच्चतम न्यायालय के मौजूदा फैसले का क्या, जिसमें एक निष्पक्ष आयोग की आवश्यकता की बात की गई है? प्रधानमंत्री को पक्षपाती चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है?” उन्होंने कहा, ‘‘यह एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है। हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे।” सरकार मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन के लिए बृहस्पतिवार को राज्यसभा में एक विधेयक पेश करेगी।
प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट कर दावा करते हुए कहा कि मैंने पहले ही कहा था – प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ़ है – जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में क़ानून लाकर उसे पलट देंगे। यदि PM खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद ख़तरनाक स्थिति है सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनायी थी जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिस से वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इस से चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी एक के बाद एक निर्णयों से प्रधान मंत्री जी भारतीय जनतंत्र को कमज़ोर करते जा रहे हैं।
जानें सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा था
राज्यसभा की बृहस्पतिवार की संशोधित कार्यसूची के अनुसार विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ‘मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023′ पुर:स्थापित करेंगे। उच्चतम न्यायालय ने मार्च में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जिसका मकसद मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से बचाना है। न्यायालय ने फैसला दिया था कि उनकी नियुक्तियां प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान न्यायाधीश की सदस्यता वाली एक समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएंगी।
संसद से कानून पास होने पर क्या होगा
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त को चुनने के लिए सरकार नया कानून लाने जा रही है। अगर संसद में कानून पास हो गया तो चुनाव आयुक्त चुनने वाली कमेटी में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और केंद्र सरकार जिस मंत्री को नामिनेट करेगी वो इसमें शामिल होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ महीने पहले इस कमेटी में चीफ जस्टिस को रखा था, लेकिन अब चीफ जस्टिस की जगह किसी एक केंद्रीय मंंत्री को शामिल किया जाएगा।
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