इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत बढ़ाने के आदेश को शुक्रवार को दरकिनार कर दिया। अदालत ने कहा कि यदि रासुका के तहत आरोपी की हिरासत की अवधि एक बार तय कर दी जाती है तो उसे बढ़ाने का राज्य सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने अंसारी द्वारा दायर रिट याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अंसारी यदि किसी अन्य मामले में वांछित ना हो तो उसे तत्काल प्रभाव से रिहा किया जाए।
अब्बास अंसारी की रासुका के तहत हिरासत बढ़ाने का आदेश रद्द
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उसे जिला मजिस्ट्रेट, चित्रकूट द्वारा 18 सितंबर, 2023 को रासुका की धारा 3(2) के तहत जारी आदेश के आधार पर हिरासत में लिया गया था। इस आदेश की पुष्टि राज्य सरकार द्वारा दो नवंबर, 2023 को की गई, जबकि याचिकाकर्ता को प्रारंभिक हिरासत आदेश की तिथि (18 सितंबर, 2023) से तीन महीने के लिए हिरासत में लिया गया था। अंसारी की हिरासत 11 दिसंबर, 2023 आदेश जारी कर आरंभिक हिरासत की तिथि से छह महीने की अवधि के लिए बढ़ा दी गई।
‘राज्य सरकार के पास अपने पूर्व के आदेश की समीक्षा करने का अधिकार नहीं’
बताया जा रहा है कि याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि राज्य सरकार के पास अपने पूर्व के आदेश की समीक्षा करने का अधिकार नहीं है, इसलिए हिरासत की अवधि बढ़ाने का आदेश बगैर किसी कानूनी आधार का है। अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि अंसारी की हिरासत अवधि तीन महीने से परे करना अवैध था और इस प्रकार से हिरासत अवधि बढ़ाने का 11 दिसंबर, 2023 का आदेश दरकिनार किया जाता है।
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