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चीन से सटे द्रोणागिरी गांव के लोग राम भक्त, लेकिन हनुमानजी के शत्रु, जानें क्या है पौराणिक इतिहास

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इंदौर। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा होनी है। इसे लेकर पूरे देश में उत्साह का माहौल है, लेकिन चीन से सटे चमोली जिले के एक गांव द्रोणागिरी के लोग विशेष उत्साहित है। रामायण कालीन एक पौराणिक मान्यता द्रोणागिरी गांव से भी जुड़ी हुई है और इस कारण यहां के लोग भी खुद भगवान राम का अनन्य भक्त मानते हैं, लेकिन हनुमान जी को खुद का शत्रु मानते हैं। इस गांव में कहीं भी दूर-दूर तक हनुमान जी का मंदिर देखने को नहीं मिलेगा।

द्रोणागिरी में पड़े थे श्री राम के चरण

पौराणिक मान्यता है कि द्रोणागिरी गांव में जिस स्थान पर भगवान श्री राम आए थे, उसे आज राम पाताल के नाम से जाना जाता है। द्रोणागिरी गांव में प्रभु राम सभी के आराध्य हैं। राम पाताल इलाके की पूरी भूमि को द्रोणागिरी गांव के लोग मंदिर की तरह पूजते हैं, इसलिए यहां भी गांव के लोगों ने तय किया है कि अयोध्या में जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तब गांव के हर घर में भगवान श्री राम की पूजा होगी।

द्रोणागिरी गांव की हनुमानजी से इसलिए दुश्मनी

पौराणिक मान्यता है कि द्रोणागिरी गांव ही वो स्थान है, जिस स्थान पर संजीवनी बूटी मौजूद थी। इसी स्थान पर मौजूद पर्वत को हनुमान जी उखाड़ कर लक्ष्मण जी को बचाने के लिए ले गए थे। लोक मान्यता है कि लंका विजय के बाद श्रीराम पर्वत देवता को मनाने खुद द्रोणागिरी गांव में आए थे।

 

यही कारण है कि द्रोणागिरी भोटिया जनजाति के लोग का ऐसा गांव है, जहां हनुमान की पूजा वर्जित है। इस जनजाति के लोग आज भी हनुमान जी को अपना शत्रु मानते हैं। पौराणिक मान्यता है कि जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने के लिए द्रोणागिरी गांव में पहुंचे तो वे भ्रम में पड़ गए और उन्हें पता नहीं था कि संजीवनी बूटी कहां हो सकती है। तब वे द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्सा उठाकर ले गए थे।

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