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अस्पताल के जेनरेटरों को ईंधन आपूर्ति घटने से इन्क्यूबेटर में रखे नवजात शिशुओं की जान जोखिम में

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गाजा पट्टी के मध्य में स्थित अल-अक्सा अस्पताल के नवजात शिशुओं के वार्ड में शीशे के ‘इन्क्यूबेटर’ के अंदर रखा समय से पूर्व जन्मा नवजात शिशु रो रहा है। गहरी पीड़ा में नजर आ रहे इस शिशु के नन्हें शरीर से इन्क्यूबेटर में मौजूद नलिकाएं जुड़ी हैं। एक वेंटिलेटर उसे सांस लेने में मदद करता है, एक नली के जरिए उस तक दवा पहुंचाई जाती है और मॉनिटर उसके नाजुक महत्वपूर्ण संकेतों को प्रदर्शित करता है। शिशु का जीवन बिजली के निरंतर प्रवाह पर टिका है क्योंकि बिजली से चलने वाले इन उपकरणों के जरिए ही उस तक जीवनरक्षक दवाएं और संसाधन पहुंचाए जाते हैं और अगर अस्पताल को उसके जेनरेटरों के लिए ईंधन नहीं मिलता है तो बिजली की आपूर्ति के जल्द खत्म होने की आशंका है।

नवजात शिशुओं की ऑक्सीजन सपोर्ट की कमी
अस्पताल के निदेशक इयाद अबू जहार इस बात को लेकर आशंकित हैं कि जेनरेटर बंद हो जाने पर वार्ड के मौजूद नवजात शिशुओं की ऑक्सीजन सपोर्ट की कमी के कारण मृत्यु हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे ऊपर जिम्मेदारी बहुत बड़ी है।” समूचे गाजा में समय से पूर्व पैदा हुए बच्चों का उपचार करने वाले चिकित्सकों को यही डर सता रहा है। सहायता कर्मियों ने कहा कि नवजात शिशु इकाई में भर्ती, समय पूर्व जन्मे कम से कम 130 बच्चों की जान ‘‘अत्यंत जोखिम” में है।

आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से वंचित
इजराइल द्वारा गाजा की घेराबंदी के कारण ईंधन की कमी का यह खतरनाक संकट पैदा हुआ है, जिसकी शुरुआत सात अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गाजा में कम से कम 50,000 गर्भवती महिलाएं आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से वंचित हैं और करीब 5,500 महिलाएं आगामी महीनों में शिशुओं को जन्म देने वाली हैं। लगातार इजराइली हमलों से क्षति होने और बिजली, पानी एवं अन्य आपूर्ति की कमी के कारण लगभग 30 अस्पतालों में से कम से कम सात को बंद करना पड़ा है। बाकी अस्पतालों के चिकित्सकों ने कहा कि वे संकट के कगार पर हैं।

तीन दिनों का पर्याप्त ईंधन ही बचा है
फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने रविवार को कहा कि उसके पास आवश्यक जरूरतों को पूरा करने के लिए तीन दिनों का पर्याप्त ईंधन है। फलस्तीनी सहायता समूह के चिकित्सा सहायता के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मेलानी वार्ड ने कहा, ‘‘दुनिया सिर्फ यह नहीं देख सकती कि गाजा पर घेराबंदी के कारण ये बच्चे मारे गए हैं… कार्रवाई करने में विफलता इन बच्चों को मौत की सजा देने के समान है।” शनिवार को गाजा में प्रवेश करने वाले 20 सहायता ट्रकों में से किसी में भी ईंधन नहीं था, जो घेराबंदी लागू होने के बाद पहुंचने वाली सहायता सामग्री की पहली खेप थी। हालांकि इजराइल ने इस सहायता सामग्री के हमास के हाथों में चले जाने की आशंका जताई थी।

150,000 लीटर ईंधन की आवश्यकता
गाजा के अंदर सीमित ईंधन आपूर्ति को अस्पताल के जेनरेटरों में भेजा जा रहा है। सात टैंकरों ने सीमा के गाजा क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र डिपो से ईंधन लिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उनमें से कोई भी टैंकर अस्पतालों के लिए भेजा गया है या नहीं। डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता तारिक जसारेविक ने कहा कि गाजा के पांच मुख्य अस्पतालों में बुनियादी सेवाएं प्रदान करने के लिए 150,000 लीटर ईंधन की आवश्यकता है। अबू जहार को यह चिंता है कि बगैर आपूर्ति के उनका अस्पताल कितने समय तक चल सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर जेनरेटर बंद हो जाते हैं तो गहन देखभाल इकाई में इनक्यूबेटर बहुत गंभीर स्थिति में होंगे।

हमें आशंका है कि अस्पताल में विभिन्न विभागों की भारी मांग के कारण आने वाले कुछ समय में ईंधन की कमी के चलते जेनरेटर बंद हो जाएंगे।” फलस्तीनी क्षेत्रों में ‘डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के चिकित्सा समन्वयक गुइलेमेट थॉमस ने कहा कि अगर उन्हें तत्काल आवश्यक विशेष देखभाल और दवा नहीं मिलती है, तो कुछ बच्चे कुछ घंटों के भीतर दम तोड़ सकते हैं और अन्य कुछ दिनों में मर सकते हैं।

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