इंदौर। हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र इस समय चल रहा है। नवरात्र में हवन का खास महत्व है। हवन के बिना यह त्योहार अधूरा माना जाता है। मंदिरों, सार्वजनिक दुर्गात्सव मंडलों आदि स्थानों पर अष्टमी और नवमी पर हवन किया जाता है। कई लोग इसलिए हवन नहीं करते क्योंकि उन्हें पता नहीं होता कि घर में हवन कैसे किया जाए। अगर आप घर पर हवन करने की योजना बना रहे हैं तो यह लेख आपके लिए महत्वपूर्ण है। इस खबर में हम आपको हवन की तैयारी और मंत्र से जुड़ी जानकारी बताने जा रहे हैं।
क्या है हवन का धार्मिक महत्व?
देवी भागवत पुराण के अनुसार, दुर्गा सप्तशती के मंत्र है। हवन के दौरान दुर्गा सप्तशती के 13 अध्यायों के मंत्रों का उच्चारण करत हुए स्वाहा बोलते हुए हवनकुंड में आहुति दें। हवनकुंड में अग्नि जलाने के बाज इसमें फल, शहद, घी, लकड़ी आदि की आहुति दी जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, हवन के प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इससे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
हवन के लिए आवश्यक सामग्री लिस्ट
नवमी के दिन मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए हवन किया जाता है। हवन के लिए आवश्यक सामग्री में धूप, जौ, सूखा नारियल, दही, सूखे मेवे, पान के पत्ते, शहद, घी, इत्र और अक्षत शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को मिलाकर हविष्य बना लें। हवन अग्नि को जलाने के लिए कपूर और आम की लकड़ी का इस्तेमाल करें।
हवनकुंड ऐसे तैयार करें
एक हवनकुंड बनाएं। उसे गाय के गोबर से लीप दें। फिल गंगाजल लें। इसे पूजा सामग्री पर छिड़क दें। हवनकुंड में जलने के लिए सूखे आम की लकड़ियों का इस्तेमाल करें। घी में भिगोई हुई रूई और कपूर जलाकर हवनकुंड की लौ जलाएं। इसके बाद भगवान गणेश, पंचदेवता और नवग्रह को 5 बार घी अर्पित करना चाहिए। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः का जाप करके हवनकुंड में आहुति दें। आखिरी में खीर और शहद को मिलाकर मंत्र के साथ हवनकुंड में आहुति दें। हवन के बाद आरती करें।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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