ग्वालियर। मोरियाई छठ आज है और संतान सप्तमी का व्रत कल है और राधा अष्टमी का व्रत 23 सितंबर को रखा जाएगा। मोरयाई छठ पर महिलाएं पवित्र सरोवरों में मंगल गीत गाते हुए मोरियाई विसर्जित करेंगी। मोरियाई छठ का पर्व गुरुवार को 21 सितंबर को मनाया जाएगा। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्टि को मोरियाई छठ कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है। इसे सूर्य षष्ठी व्रत या मोरियाई छठ के नाम से जाना जाता है। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉं सतीश सोनी के अनुसार मोरियाई छठ के दिन सूर्य उपासना कर व्रत रखा जाता है। तथा जिन परिवारों में विवाह संपन्न हुए हैं। उस परिवार के सदस्य मौर्य छठ के दिन दूल्हा, दुल्हन के मोर, मंडप एवं सामग्री को मंगल गीत गाते हुए किसी तालाब में सिराहते हैं। इसके लिए शहर के तालावो पर मेला लगता है। जिसमें शहर के भदवान, मचकुंड, सागरतल जनक ताल, तिघरा, वीरपुर बाधं पर मेला रहता है। महिलाओं के रहेंगे। लगातार व्रत 20 तारीख को माताएं बहने ऋषि पंचमी का व्रत रखेंगी वही 21 तारीख को सूर्य षष्ठी का व्रत तथा 22 तारीख को संतान सप्तमी व्रत एवं 23 तारीख को और राधा अष्टमी का व्रत किया जाएगा।
संतान सप्तमी
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को संतान सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष यह 22 सितंबर यानि शुक्रवार को किया जाएगा। इसे माता पिता अपनी संतान के सुख समृद्धि व रक्षा के लिए रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार संतान सप्तमी के दिन भगवान सूर्य माता पार्वती और भोले शंकर की विधि-विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है!
राधा अष्टमी
कहते हैं कि राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं। वी कीर्ती ने उसी वायु को जन्म दिया। इस दौरान उन्हें प्रसव पीड़ा हो रही थी और वहां राधा माता के रूप में एक प्यारी सी कन्या ने जन्म लिया। भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन राधा मैया का धरती पर जन्म हुआ था। तभी से हर साल इस दिन को राधा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार राधा अष्टमी 23 सितंबर को है।
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