हिंदू धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, घर में तुलसी का पौधा सूखना या मुरझाना शुभ नहीं माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि घर में यदि तुलसी का पौधा सूख जाता है तो इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती है और घर में कंगाली आने लगती है। तुलसी का पौधा यदि सर्दियों के मौसम में मुरझाने लगे या सूखने लगे तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए। इस बारे में उद्यानिकी विभाग के रिटायर्ड अधिकारी सतीश अग्रवाल हमें विस्तार से जानकारी दे रहे हैं –
सर्दियों में बहुत ठंडा पानी नहीं डालें
जिस प्रकार से सर्दियों में ठंडा पानी हमारे गले को खराब करता है, उसी प्रकार बहुत ज्यादा ठंडा पानी तुलसी के पौधे पर भी बुरा असर डालता है। पानी को हल्का गुनगुना करने के बाद ही तुलसी के पौधे में डालना चाहिए।
मिट्टी और बालू के साथ लगाएं पौधा
तुलसी के पौधे को हमेशा मिट्टी और बालू को मिलाने के बाद इसमें लगाना चाहिए। ऐसा करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है और ऊपर से मोरंग की हल्की परत डालनी चाहिए। ऐसा करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है।
रोज तुलसी को कितना पानी दें
हिंदू परिवार में रोज सुबह तुलसी के पौधे को एक तांबे के लोटे से पानी अर्पित किया जाता है। लेकिन सर्दियों में तुलसी को कम पानी देना चाहिए। हर गुरुवार को तुलसी की जड़ों में कच्चा दूध भी डाल सकते हैं, जिससे नमी ज्यादा समय के लिए बनी रहती है।
तुलसी में जैविक व प्राकृतिक खाद डालें
तुलसी को सूखने से बचाने के लिए हमेशा जैविक व प्राकृतिक खाद ही डालना चाहिए। तुलसी में रासायनिक खाद नहीं डालना चाहिए। तुलसी का पौधा बेहद नाजुक होता है, रासायनिक खाद डालने से पौधे की पत्तियां जल भी सकती है।
तुलसी को लाल कपड़े से ओढ़ाएं
ठंड के मौसम में ओस और कोहरे से बचने के लिए तुलसी के पौधे को लाल कपड़े या लाल चुनरी से ढक देना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर तुलसी के पौधे को चुनरी ओढ़ाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है। जीवन में कभी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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