नई दिल्लीः भारत में वर्ष 1901 के बाद से अगस्त में सबसे कम वर्षा दर्ज किए जाने के बाद दक्षिणपश्चिम मानसून सप्ताहांत पर फिर से सक्रिय हो सकता है और देश के मध्य व दक्षिणी राज्यों में बारिश ला सकता है। मौसम विभाग ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। डिजिटल माध्यम से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि सितंबर में सामान्य वर्षा होने की संभावना है। महापात्र ने हालांकि कहा कि अगर सितंबर में ज्यादा बारिश होती भी है तो भी जून से सितंबर के सत्र के दौरान दर्ज की गई औसत वर्षा मौसम की सामान्य वर्षा से कम रहने का अनुमान है।
महापात्रा ने कहा कि अगस्त में वर्षा की कमी के पीछे सबसे बड़ा कारण भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थिति का बनना है। महापात्र ने कहा हालांकि, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के समुद्री सतह तापमान में अंतर अब ‘पॉजिटिव’ होना शुरू हो गया है, जो अल नीनो के प्रभाव को उलट सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्व दिशा की ओर बढ़ते बादलों की गति और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हो रही वर्षा मानसून के फिर से दस्तक देने में अहम भूमिका निभा सकती है।
122 सालों में सबसे सूखा रहा अगस्त
बता दें कि भारत के मौसम वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत में 1901 के बाद से इस साल अगस्त के सबसे अधिक शुष्क रहने का अनुमान है और यह स्पष्ट रूप से अल नीनो स्थितियों के तीव्र होने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस साल का मानसून 2015 के बाद से सबसे अधिक शुष्क हो सकता है, जिसमें 13 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एक अधिकारी ने बताया कि अगस्त में अब तक 32 प्रतिशत बारिश की कमी और अगले तीन दिन में देश के एक बड़े हिस्से में बारिश की कम गतिविधियां होने के अनुमान के साथ, भारत 1901 के बाद से सबसे शुष्क अगस्त दर्ज किये जाने की राह पर है।
अगस्त में 254.9 मिमी बारिश होती है, जो मानसून के मौसम के दौरान होने वाली बारिश का लगभग 30 प्रतिशत है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में अगस्त 2005 में 25 प्रतिशत, 1965 में 24.6 प्रतिशत; 1920 में 24.4 प्रतिशत; 2009 में 24.1 प्रतिशत और 1913 में 24 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई। IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अगस्त में सामान्य से कम बारिश का मुख्य कारण अल नीनो (दक्षिण अमेरिका के निकट प्रशांत महासागर में पानी का गर्म होना) के अलावा ‘मैडेन जूलियन ऑसिलेशन’ (एमजेओ) का प्रतिकूल चरण है। एमजेओ एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनियाभर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है।
अल नीनो आमतौर पर भारत में कमजोर होती मानसूनी हवाओं और शुष्क मौसम से जुड़ा है। महापात्र ने कहा, ‘‘एमजेओ के अनुकूल चरण के कारण कम दबाव प्रणाली न होने पर भी बारिश होती है। एमजेओ के अनुकूल चरण के कारण जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी।” दक्षिण चीन सागर के ऊपर विकसित होने वाली कम दबाव वाली प्रणालियां आमतौर पर पश्चिम की ओर बढ़ती हैं, वियतनाम और थाईलैंड को पार करने के बाद उत्तरी बंगाल की खाड़ी तक पहुंचती हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि सितंबर के अगस्त जितना खराब रहने की उम्मीद नहीं है। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने कहा कि अगस्त में भारी बारिश की कमी का मुख्य कारण अल नीनो है।
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